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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०९ उ०३३ सू०४ जमालीवक्तव्यता उववाइए जाव एवं पन्नवेइ, एवं परूवेइ, एवं खलु देवाणुप्पिया ? समणे भगवं महावीरे आइगरे जाव सन्नू सव्वद. रिसी माहणकुंडग्गामस्स नयरस्त बहिया बहसालए बेइए अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं महप्फलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरिहंताणं भगवंताणं जहा उववाइए जाव एगाभिमुहो खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छति निग च्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे, जेणेव बहुमालए चेइए, एवंजहा उववाइए जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति, तएणं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्त तं महया जणसद्देइवा, जाव जणसन्निवायं वा, सुणमाणस्स वा, पासमाणस्स वा,अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था किं णं अज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहेइ वा, खंदमहेइ वा, मुगुंदमहेइ वा, णागम हेइ वा, जक्खमहेइ वा, भूयमहेइ वा, कूवमहेइ वा, तडागमहेइ वा, नईमहेइ वा, दहमहेइ वा, पबयमहेहि वा, रुक्खमहेइ वा घेइयमहेइ वा, थूममहेइ वा, जणं एए वहवे उग्गा, भोग्गा, राइन्ना, इक्खागा, णाया, कोरव्वा, खत्तिया, खत्तियपुत्ता, भडा, भडपुत्ता, जहा उववाए जाव सत्थ वाहप्पभिइया ण्हाया, कयब. लिकम्मा, जहा उपवाइए जाव निग्गच्छंति ? एवं संपेहेइ, एवं संपेहित्ता, कंचुइज्जपुरिसं सदावेइ, सहावेत्ता एवं वयासी-किणंदेवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहेइ वा, जाव निग्गच्छंति ? तए णं से कंचुइज्जा पुरिसे जमालिणा खत्तिय.
श्रीभगवती. सूत्र: ८