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________________ प्रमेयचन्द्रिकाटी०।०९२०३६ सू०१८ नरयिकायुत्पादादिसान्तरनिरन्तरतानि० ३११ उववज्जंति, संतरंपि नेरइया उठवटुंति निरंतरंपि नेरइया उन्न. हृति, एवं जाव थणियकुमारा, नो संतरं पुढविकाइया उबहति, निरंतरं पुढविकाइया उठवटंति, एवं जाव वणस्सइकाइया, सेसा जहा नेरइया, नवरं जोइसियवेमाणिया चयंति, अभिलावो, जाव संतरपि वेमाणिया चयंति, निरंतरंपि वेमाणिया चयंति। संतो भंते ! नेरइया उववज्जति, असंतो भंते ! नेरइया उववजति ? गंगेया ! संतो नेरइया उववज्जति, नो असंतो नेरइया उववजंति, एवं जाव वेमाणिया । संतो भंते ! नेग्इया उवहति ? असंतो नेरइया उबदति ? गंगेया ? संतो नेरइया उबदति, नो असंतो नेरइया उबदांति, एवं जाव वेमाणिया, नवरं जोइसियवेमाणिएसु चयंति भाणियवं । सओ भंते ? नेरइया उववजति, असओ भंते ? नेरइया उपवनंति, संतो असुरकुमारा उववजंति, जाव सओ वेमाणिया उववज्जति, असओवेमाणिया उववज्जंति, सओ नेरइया उव्वदंति, असओ नेरइया उव्वदंति, सओ असुरकुमारा उबदति,जाव सओ वेमाणिया चयंति,असओ वेमाणिया चयति ? गंगेया ? सओनेरइया उववज्जति, नो असओनेरइया उववज्जंति, सओ असुरकुमारा उववज्जंति, नो असओअसुरकुमारा उववज्जति जाव सओ वेमाणिया उववज्जति, नो असओ वेमाणिया उववज्जंति, सओ नेरइया उठवहति, नो असओ नेरइया उव्वटुंति, ! जाव सओ वेमाणिया चयंति, नो असओ वेमाणिया चयंति । से केवणट्रेणं श्रीभगवती. सूत्र: ८
SR No.006322
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages685
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size40 MB
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