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________________ - प्रमेयचन्द्रिका टीका श०९ उ.२ सू०२ जम्बूद्वीप सूर्यचन्द्रादिबक्तव्यता ५९३ अभितरपुक्खरद्धमणुस्सखेत्ते, एएमु सव्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव-“एगससीपरिचारोतारागणकोडिकोडीणं ' धातकीखण्डे कालोदे पुष्करवरे, आभ्यन्तरपुष्करार्द्धमनुष्यक्षेत्रो, एतेषु सर्वेषु पञ्चसु यथा जीवाभिगमे चन्द्रादिप्रकाशादिकमुक्त तथैवात्रापि तद् वक्तव्यम् , तथा चोक्तं तत्र-'धायईखंडे णं भते! दीवे केवइया चंदा पभासिसु वा३, केवइया मूरिया तविंसु वा३, इत्यादि प्रश्नाः पूर्ववदेव कल्पनीयाः, उत्तरं तु-'गोयमा वारसचंदा पभासिसुवा ३ बारस मूरिया तविसु वा ३? एवं । चउवीसं ससिरविणो नक्रवत्तसया य तिनि छत्तीसा । एगं च गहसहस्सं छपन्नं धायईसंडे ।। १ ।। प्रकट करने के लिये सूत्रकार कहते हैं-(धायईसंडे, कालोदे, पुक्खरवरे अभितरपुरखरद्धमणुस्सखेत्ते एएसु सम्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव)" एग ससी परिवारा तारागणकोडिकोडीणं" धातकीखण्ड में, कालोद में, पुष्कर वर में, आभ्यन्तरपुष्कराध में और मनुष्यक्षेत्र में इन पांच स्थानों में-जीवाभिगमस्त्रोक्त चन्द्रादिप्रकाशविषयक वक्तव्यता की तरह चन्द्रादि ज्योतिष्क प्रकाश वक्तव्यता जाननी चाहिये वहां वह वक्तव्यता इस प्रकार से कही गई है 'धायईसंडे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिंसु वा ३, केवड्या सूरिया तर्विस्तु वा ३" इत्यादि, हे भदन्त ! धातकी खण्ड में कितने चन्द्रमाओं ने प्रकाश किया है ? अब वहां कितने चन्द्रमा प्रकाश करते हैं और भी कितने चन्द्रमा वहां प्रकाश करेंगे? इसी तरह से सूर्यों के द्वारा प्रकाश करने की वक्तव्यता के विषय में प्रश्न जानना चाहिये। इत्यादि-इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! धातकी खण्डमें १२ चन्द्रमाओं ने और १२ सूर्यों ने अपना २ कार्य किया है, अब भी वे अपना २ कार्य करते हैं और आगे भी (धायईसंडे, कालोदे, पुरखरवरे, अभितरपुक्खरद्धमणुस्सखेत्ते एएसु सव्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव एग ससी परिवारो तारोगणकोड कोडीणं ) पाती, કાલોદ, પુષ્કરવર, આભ્યન્તર પુષ્પરાધ અને મનુષ્યક્ષેત્ર, આ પાંચ સ્થાનમાં જીવાભિગમ સૂત્રમાં કહ્યા પ્રમાણે જ ચન્દ્રાદિના પ્રકાશની વક્તવ્યતા સમજવી. ત્યાં તે વક્તવ્યતા નીચે પ્રમાણે કહી છે– (धायईसंडे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिसु वा ३, केवइया सूरिया तविसु वा ३) त्याहि. है महन्त ! घातडीमद्वीपमा टसा यद्रमा प्रा. શતા હતા? કેટલા ચંદ્રમાં પ્રકાશે છે ? અને કેટલા ચંદ્રમાં પ્રકાશતા રહેશે ? એજ પ્રમાણે સૂર્યના પ્રકાશ વિષેની વક્તવ્યતા વિષયક પ્રશ્નો પણ સમજવા. મહાવીર પ્રભુને ઉત્તર–ધાતકીખંડમાં ૧૨ સૂર્ય અને ૧૨ ચંદ્રમા ભૂતકાળમાં પ્રકાશતા હતા, વર્તમાનમાં પ્રકાશે છે અને ભવિષ્યમાં પણ પ્રકાશશે. भ७५ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૭
SR No.006321
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages776
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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