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________________ प्रमेयचन्द्रिका टी०२०८९०९०१० मौदारिकादिबन्धस्य परस्पर सम्बन्धनि० ४३३ व्त्रिसरीरस्स किं बंधए, अबंधए ? हे भदन्त । तैजसशरीरस्य देशबन्धको जीवः किं वैक्रियशरीरस्य वन्धको भवति ? अवन्धको भवति ? भगवानाह - ' एवं वेव, एवं आहारगसरीरस्स वि' हे गौतम! एवमेव उक्तरीत्यैव तैजसशरीर देशबन्धकः औदारिकशरीरबन्धक इव वैक्रियशरीरस्यापि देशवन्धकः, सर्वबन्धकः, अबन्धकश्च भवति, एवमेव तैजसशरीरदेशवन्धकः आहारकशरीरस्यापि देशवन्धकः, सर्वबन्धकः, अबन्धकश्च भवतीत्याशयः । अथ कार्मणशरीरबन्धं पृच्छति - ' कम्मगसरीरस्स किं बंधए, अधए ? भदन्त ! तैजसशरीरदेशवन्धकः किम् कार्मणशरीरस्य बन्धको भवति, अवन्धको वा भवति ? भगवानाह - ' गोयमा ! बंधए, नो अबंधए ' हे गौतम! तैजसशरीर देशवन्धको जीवः कार्मणशरीरस्य बन्धक एव भवति, नो , अव गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं - ( वेडव्वियसरीरस्स किं ive ray) हे भदन्त ! तैजसशरीरका देशबंधक जीव वैक्रियशरीरका बंधक होता है ? अथवा अबंधक होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं एवं चेव. एवं आहारगसरीरस्म वि) हे गौतम! तैजसशरीरका देशबंधक जीव औदारिकशरीर के बंधक की तरह वैक्रियशरीर का भी देशबंधक, सर्वबंधक और अबंधक होता है । इसी तरह से तैजसशरीर का देशबंधक जीव आहारकशरीर का भी देशबंधक, सर्वबंधक और अबंधक होता है। अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं - ( कम्मगसरीरस्स किं बंध अबंध ) हे भदन्त ! जो जीव तेजमशरीर का देशबंधक होना है वह क्या कार्मणशरीर का बंधक होता है या अबंधक होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - ( गोयमा) हे गौतम! तैजसशरीर का ૌતમ સ્વામીને प्रश्न - ( वेउव्वयसरीरस्स कि बंध‍, अब धए ? ) હે ભદ્દન્ત ! તેજસ શરીરના દેશબંધક જીવ શું વૈક્રિય શરીરને ખંધક હૈય समंध होय छे ? छे, महावीर प्रभुने। उत्तर - ( एवं चेव, एवं आहारगसरीरस्स बि ) ગૌતમ ! તેજસ શરીરના દેશબંધક જીવ ઔદારિક શરીરના ખધકની જેમ વૈક્રિય શરીરને પણ દેશબંધક, સબધક અને અંધક હોય છે. એજ પ્રમાણે તેજસ શરીરને દેશબધક જીવ આહારક શરીરના પશુ દેશ ધક, સબધક અને અખધક હેાય છે. गौतम स्वाभीने प्रश्न - " कम्मगसरीरस्स किं बंधए, अधर १ " હે ભદન્ત ! જે જીવ તેજસ શરીરને દેશબાંધક હાય છે, તે શુ કામ શુ શરીરને અધક હાય છે, કે અખધક ડાય છે ? भ ५५ श्री भगवती सूत्र : ৩
SR No.006321
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages776
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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