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________________ ' प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ८ उ. ९. सू० ८ तैजसशरीर प्रयोगबन्ध निरूपणम् ३६७ यतेयासरीरप्पओगबंधे ' द्विन्द्रियतैजसशरीर प्रयोगबन्धः, 'तेइ दियते यासरीरण्य ओगit' त्रीन्द्रियतैजसशरीरप्रयोगबन्धः, 'चउरिंदियतेयासरीरप्पओगबंधे चतुरिन्द्रियतैजसशरीरप्रयोगबन्धः, पंचिदियतेयासरीरप्पओगबंधे पञ्चेन्द्रियतैजसशरीरप्रयोगवन्धश्च, गौतमः पृच्छति' एर्गिदियतेयासरीरप्पओगबंधे णं भंते ! कइ विहे पणते ? ' हे भदन्त ! एकेन्द्रियतैजसशरीरप्रयोबन्धः खलु कतिविधः मज्ञप्तः १ भगवानाह - ' एवं एएणं अभिलावेणं भेदो जहा ओगाहणसंठाणे जाव' हे गौतम ! एवम् उक्तरीत्या एतेन उपर्युक्तेन एकेन्द्रियतैजसशरीर प्रयोगबन्धविषयकेण अभिलापेन आलापक्रमानुसारेण भेदश्चतुर्विंशतिदण्डकव्यपदेश्यो यथा अवगाहनसंस्थाने तेया सरीरप्पओगय धे) एकेन्द्रिय तेजस शरीरप्रयोगयंध ( बेइंदिया तेया सरीरप्पओगबधे ) दो इन्द्रिय तैजस सरीर प्रयोगबंध ( तेइंदिय तेयासरीरप्पओग घे) ते इन्द्रिय तैजस शरीरप्रयोगवन्ध, (जाव पंचेदिय तेासरीरप्पओगव घे) यावत्-चौ इन्द्रिय तैजम शरीरप्रयोगबंध और पंचेन्द्रिय तेजस शरीरप्रयोगबंध, अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं - ( एगिंदिय तेया सरीरप्पओगवघे णं भंते! कहविहे पण्णत्ते) हे भदन्त । एकेन्द्रिय तैजस शरीरप्रयोगबंध कितने प्रकार का कहा गया है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - ( एवं एएणं अभिलावेण भेदो जहा ओगाहणसंठाणे जात्र ) हे गौतम! उक्तरीति के अनुसार उपर्युक्त एकेन्द्रिय तेजस शरीरप्रयोग विषयक आलापक्रम से चतुर्विंशतिदण्डक व्यपदेश्य-भेद प्रज्ञापना के प्रारो नीचे प्रमाणे छे - ( एर्गिदिय तेयाखरीप ओगब घे) येडेन्द्रिय तैम्स शरीर प्रयोगमध, ( बेई दिय तेया सरीरप्पओगव घे) द्वीन्द्रिय तेक्स शरीर प्रयोगमध, ( तेइ दिय तेया सरीरप्पओगबघे ) तेहन्द्रिय तेभ्स शरीर प्रयोग अंध, ( जाव पं.चिंदिय तेया सरीरप्पभोगबधे ) यतुरिन्द्रिय तैन्स शरीर પ્રયાગમધ અને પચેન્દ્રિય તેજસ શરીર પ્રત્યેાગમ ધ गौतमस्वाभीनो प्रश्न - ( एगिदिय तेया सरीरम्पओगबधे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते १) हे अहन्त ! येडेन्द्रिय तै सशरीर प्रयोग धना डेटा प्रकार उछे ? महावीर प्रभुना उत्तर- ( एवं एएण अभिलावेण भेदो इणसंठाणे जाव) हे गौतम! प्रज्ञायना सूत्रना अवगाहना संस्थान ૨૧ માં પદમાં ઉપયુક્ત એકેન્દ્રિય તૈજસ શરીર પ્રત્યેાગ વિષયક આલાપક ક્રમથી ૨૪ દંડક બ્યપદેશ્ય ભેદ બતાવવામાં આવ્યા છે, જે નીચે પ્રમાણે છે जहा ओगा નામના श्री भगवती सूत्र : ৩
SR No.006321
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages776
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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