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________________ १८८ भगवतीचे श्लेषणाबन्धः, अथ कः स उच्चयवन्धः ? उच्चयवन्धो यः खलु तृणराशीनां वा, काष्ठरावीनां वा, पत्रराशीनां वा, तुषराशीनां वा, बुसरासीनां वा, गोमयराशीनां चा, अवकरराशीनां वा, उच्चत्वेन बन्धः समुपपद्यते, जघन्येन अन्तमुहूतम् , उत्कबैग संख्येयं कालम् , स एष उच्चयबन्धः, अथ कः सः समुच्चयबन्धः ? समुच्चयप्रासादों का, काष्ठों का, चमडे का, घडों का, पटों का वस्त्रों का और चटाईयों का चूना, कर्दम, वज्रलेप, लाक्षा, मोम इसके द्वारा परस्पर में जुड जाना होता है। (जहण्णेणं अंतोमहत्त, उक्कोसेणं संखेज्ज कालं) यह बंध जघन्य से अन्तर्मुहूर्ततक और उत्कृष्ट से संख्यातकाल तक रहता है। (से से लेसणाबंधे) यही श्लेषणा बंध का स्वरूप है। (से कितं उच्चयबंधे) हे भदन्त ! उच्चयवंधका क्या स्वरूप है ? (उच्चयबंधे जे णं तणरासीण वा, कट्टरासीण वा, पत्तरासीण वा, तुसरासीण वा, भुसरासीण वा, गोमयरासीग वा, अवगररासोण वा, उच्चत्तणं बंधे समुपजइ) तृणराशि का, काष्टराशि का, पत्रराशि का, तुषराशि का, भूसा की राशि का, गोवर के ढेर का, कूडा के ढेर का जो उच्चपने से बंध होता है, वह उच्चयबंध है। ( जहण्णेणं अंतो मुहत्तं, उक्कोसेणं संखेज कालं) यह बंध जघन्य से अन्तर्मुहूर्ततक और उत्कृष्ट से MS भूभियानु, तलानु, प्रासाहानु, ४ानु', यामानु, घामानु, વનું અને ચઢાઈઓનું ચૂના, કીચડ વાલેપ, લાખ અને મીણ દ્વારા ५२२५२ साथ ले सानु भने छ (जहण्णेणं अतो मुहत्त' उक्कोसेण संखे. ज्जकालं ) मा ५ माछामा छ। से मतभुत सुधा मने पधारेमा आधारे सध्यातsa सुधा २३ छे. (से त' लेसणाबंधे ) Rष। धनु આ પ્રકારનું સ્વરૂપ છે. (से किं तं उच्चयबधे १) 8 महन्त ! यय धनु ५१३५ धु १ ( उच्चयबघे जण तणरासीण वा, कट्टरार्स.ण वा, पत्तरासीण वा, तुसरासीण वा, भुसरासीण वा, गोमयरासीण वा, अवगररासीण वा, उच्चत्तेणं बंधे समुप्पज्जइ) बासना साना, आटना all, ५ न। साना, तुषना माना, बुसाना (५AMI ) dant, छाना साना, यराना . લાને જે ઊંચાઇની અપેક્ષાએ એટલે કે તે પદાર્થોના આપસમાં સંબંધરૂપ જે wध थाय छ, तर यय 4 ४ छ. (जहण्णेणं अतोमुहुत्त, उक्कोसेणं सज्जकाल ) मा मध माछामा सोछे ये सन्तत सुधी भने १५ श्री.भगवती सूत्र : ७
SR No.006321
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages776
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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