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भगवतीसरे पहाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! द्वाविंशतिः परीषहाः प्रज्ञताः, तद्यथा-जिघत्सापरीपहः, पिपासापरीषहो यावत्-दर्शनपरीषहः । एते खलु भदन्त ! द्वाविंशतिः परिषहाः कतिषु कर्मप्रकृतिषु समवतरन्ति ?, गौतम ! चतसृषु कर्मप्रकृतिषु समवतरन्ति, तद्यथा-ज्ञानावरणीये, वेदनीये, मोहनीये आन्तरायिके । ज्ञानावरणीये खलु भदन्त! कर्मणि कति परीषहाः समवतरन्ति ? गौतम ! द्वौ परीषहौ समवतरतः, तद्यथापयडीओ पण्णत्ताओ) कर्मप्रकृतियां आठ कही गई हैं ! (तं जहा) जो इस प्रकार से हैं (णाणावरणिलं, जाव अंतराइयं) ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय । (कइणं भंते ! परीसहा पण्णत्ता) हे भदन्त ! परिषह कितने कहे गये हैं ? ( गोयमा) हे गौतम ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता ) परीषह २२ कहे गये हैं। (तं जहा) जो इस प्रकार से हैं-(दिगिंछापरीसहे, पिवासा परीसहे, जाव दंसणपरीसहे) क्षुधापरीषह, पिपासापरीषह यावत् दर्शन परीषह। (एएणं भंते ! बावीसं परीसहा कइसु कम्मपयडीसु समोयरंति ) हे भदन्त ! ये २२ परीषहों का कितनी कर्मप्रकृतियों में समावेश होता है ? ' गोयमा' हे गौतम ! 'चउसु कमपयडिसु समोयति' घाईस परीषहों का चार कर्मप्रकृतियों में समावेश होता है 'तं जहा' जैसे-' नाणावरणिजे, वेयणिज्जे, मोहणिज्जे, अंतराइए' ज्ञानावरणीय में, वेदनीय में,मोहनीय में और अन्तराय में । ' नाणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयरंति' हे भदन्त ! ज्ञानावरणीय कर्म में कितने परीषहों का समावेश होता है ? 'गोयमा' हे गौतम ! पण्णताओ ) भ प्रकृतिको मा8 ४ी छ. (तं जहा) रे प्रभा - (णाणावरणिज्जं, जाव अंतराइय) सान१२९यथा ४२ मतशय ५या-तनी ( कइ ण भते ! परीसहा पण्णत्ता ) 3 महन्त ! परीषडक्षा द्या छ ? (गोयमा ! ) 3 गौतम ! (बावीसं परीसहा पण्णत्ता ) परीष मावीस हा छ. ( त जहा) तमना नाम नीय प्रमाणे छे. (दिगिधा परीसहे, पिवासा परीसहे, जाव देसणपरीसहे) क्षुधा परीषड, पिपास परीषड, यावत् ४शन पशष४. (एए ण भते ! बावीसं परीसहा कइसु कम्मपयडीसु समोयरति ?) 8 ભદન્ત ! તે બાવીશ પરીષહને સમાવેશ કેટલી કમ પ્રવૃતિઓમાં થાય છે ? ( गोयमा !) गौतम ! (च उसु कम्मपयडीसु समोयर'ति) भावीश परीषडाना भार प्रतिमामा समावेश थाय छे. (तं जहा) भ3 (णाणावरणिज्जे, वेयणिज्जे, मोहणिज्जे, अंतराइए) ज्ञाना२यम नीयमां, मोनीयमा भने अन्तरायमा (नाणावरणिज्जेणं भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयरति १)महन्त! ज्ञानाशीय ममा डेटा परीषाने समावेश थाय छ १ (गोयमा ! दो
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૭