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________________ भगवतीसगे स्वयं न करोति वचसा कायेन ३४, 'अहवा न कारवेइ मणसा वयसा ३५, अथवा एकविधं प्राणातिपातं द्विविधेन करणेन प्रतिक्रामन् अन्यद्वारा न कारयति मनसा वचसा ३५, 'अहवा न कारवेइ मणसा कायसा ३६' अथवा एकविध प्राणातिपात द्विविधेन करणेन प्रतिक्रामन् अन्यद्वारा न कारयति मनसा कायेन ३६, 'अहवा न कारवेइ वयसा कायसा ३७' अथवा एकविध प्राणातिपात द्विविधेन करणेन प्रतिक्रामन् अन्यद्वारा न कारयति वचसा कायेन ३७, 'अहवा करेंत णाणुजाणइ मणसा वयसा ३८' अथवा एकविध' प्राणातिपातं द्विविधेन करणेन प्रतिक्रामन् कुर्वन्तं नानुजानाति मनसा वचसा ३५, 'अहवा करेंतं णाणुजाणइ मणसा कायसा ३९' अथवा एकविध प्राणाजब वह द्विविधसे प्रतिक्रमण करता है तब वह वचनसे और कायसे प्राणातिपातका अनुमोदना नहीं करता है । 'अहवा न कारवेइ मणसा वयसा ३५' अववा-एकविध प्राणातिपात का द्विविध से प्रतिक्रमण करता है तब वह मन से और वचन से उस प्राणातिपातको नहीं करवाता है । 'अहवा न कारवेइ मणसा कायसा ३६' अथवाएकविध प्राणातिपात का द्विविध से जब वह प्रतिक्रमण करता है तब वह मनसे और वचनसे उसे कराता नहीं है। 'अहवा न कारवेह वयसा कायसा ३७' अथवा-एकविध प्राणातिपात का द्विविध से प्रतिक्रमण जब वह करता है-तब वह उस प्राणातिपातको वचन से और वाय से अन्य द्वारा कराता नहीं है। 'अहवा करेंतं णाणुजाणइ मणसा वयसा ३८' अथवा एकविध प्राणातिपात का जब वह द्विविध से प्रतिक्रमण करता है तब वह प्राणातिपात करते हए व्यक्तिकी मन से और वचन से अनुमोदन नहीं करता है । 'अहवा करतं णाणु પ્રકારના પ્રાણાતિપાતનું બે પ્રકારે પ્રતિક્રમણ કરતો તે શ્રાવક વચનથી અને કાયાથી प्रातिपात ४२ नथी. 'अहवा न कारवेइ, मणसा वयसा ३५ (૪) અથવા એકવિધ પ્રાણાતિપાતનું ડિવિધ પ્રતિક્રમણ કરતા તે શ્રાવક મનથી અને पयनथी प्रातिपात परत नथी. 'अहवा न कारवेइ, मणसा ३६' (૫) અથવા એકવિધ પ્રાણાતિપાતનું દ્વિવિધ પ્રતિક્રમણ કરતા તે શ્રાવક મનથી અને वयनयी प्रातिपात ४सयता नथी. 'अहवा न कारवेइ, वयसा कायसा ३७, (૭) અથવા એક વિધ પ્રાણાતિપાતનું દ્વિવિધ પ્રતિક્રમણ કરતો તે શ્રાવક વચનથી અને | आयाथी प्रतियात पता नथी. 'अहवा करेंत नाणुजाणइ मणसा वयसा ३८' (૭) અથવા એક પ્રકારના પ્રાણાતિપાતનું બે પ્રકારે પ્રતિક્રમણ કરતે તે શ્રાવક, પ્રાણાતિપાત श्री. भगवती सूत्र :
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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