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________________ ३४ भगवती सूत्रे प्रज्ञप्ता: 2 , च भवन पतिदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः पुद्गलाः कतिविधाः भगवानाह - ' गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! भवनवासि देवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः दशविधाः प्रज्ञप्ताः ' तं जहा तद्यथा - 'असुर कुमारा जात्र थणियकुमारा' असुरकुमाराः १ यावत् - नागकुमाराः २, सुवर्णकुमाराः ३, विद्युत्कुमाराः ४, अग्निकुमाराः ५, द्वीपकुमारा ६, उदधि - कुमाराः ७, दिक्कुमाराः ८, वायुकुमाराः ९, स्तनितकुमाराः १० | 'एवं एएणं अभिलावेणं अविद्या वाणमंतरा- पिसाया जात्र गंधन्वा ' एवं रीत्या एतेन अभिलापेन उक्तभवनवास्यालापकक्रमेण अष्टविधाः वानव्यन्तराः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - पिशाचाः १ यावत् भूताः ", यक्षाः ३, राक्षसाः४, किन्नराः५, किम्पुरुषाः, ६ महोरगाः७, गन्धर्वाः८, । ' जोइसिया पंचविहा पण्णत्ता' ज्योतिषिकाः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः 'तं जहा - ' तद्यथा - 'चंद विमाणजोइसिय० जान ताराविमाणजोइप्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! भवन पति देव पञ्चेन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुद्गल 'दसविहा पण्णत्ता' दश प्रकारके कहे गये हैं । 'तंजहा' वे इस प्रकार से हैं 'असुरकुमारा जाव थणियकुमारा' असुरकुमार नागकुमार, सुवर्णकुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिक्कुमार, वायुकुमार और स्तनितकुमार । 'एवं एएणं अभिलावेणं अट्ठविहा वाणमंतरा पिसाया जाव गंधव्वा, इस उक्त भवनवासीके आलापक क्रमके अनुसार आठ प्रकारके वानव्यन्तर कहे गये हैं । जो इस प्रकार से हैं पिशाच भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किम्पुरुष, महोरग और गंधर्व, 'जोइसिया पंचविहा पण्णत्ता' ज्यो तिषिक पांच प्रकारके कहे गये हैं जो इस प्रकार से हैं 'चंद विमाण - उत्तर- 'गोयमा !' हे गीतमा ! 'दसविहा पण्णत्ता - तजहा' भवनयतिव थंचेन्द्रिय प्रयोगपरिश्रुत युद्दगाना नीथे अभाये इस अार ह्या छे- 'असुरकुमारा जाव थणियकुमारा' (१) असुरकुमार, (२) नागकुमार, (3) सुव कुमार (४) विद्युतभार, (4) अग्निहुभार, (६) द्वीपकुमार, (७) अधिभार, (८) हिङ्गुभार, (८) वायुकुभार भने (१०) स्तनितकुमार यथेन्द्रिय प्रयोगयरित युगल. 'एवं एएणं अभिलावेणं अडविहा वाणमंतरा पिसाया जाव गंधव्वा' उपर्युक्त अवनयतिना આલાપક ક્રમાનુસાર વાનવ્યંતર દેવે પણ આઠ પ્રકારના કહ્યા છે– (૧) પિશાચ (૨) भूत, (3) यक्ष, (४) राक्षस, (५) हिन्नर, (६) हिम्युरुष (७) महोरग भने (८) गंधर्व ' जोइसिया पंचविहा पण्णत्ता' ज्योतिष हेवाना नीचे प्रमाणे या प्रकार - શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૬
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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