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पमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. २ मू. ९ लब्धिस्वरूपनिरूपणम् ४३५
मूलम्-चरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी ? गोयमा! पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपजवनाणवजाइं चत्तारि नाणाई, तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए, सामाइयचरित्त लद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी? गोयमा! नाणी, केवलवजाइं चत्तारि नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाइं तिनि य अन्नाणाइं भयणाए, एवं जाव सामाइयचरित्तलद्धिया, अलद्धिया य भणिया, एवं जाव अहक्खायचरित्तलद्धिया, अलद्धिया य भाणियवा, नवरं अहक्खायचरित्तलद्धियाणं, पंच नाणाई भयणाए-३, चरित्ताचरित्त लद्धिया णं भंते ! जीवा, किं नाणी, अन्नाणी ? गोयमा ! नाणी, णो अण्णाणी, अत्थेगइया दुण्णाणी, अत्थेगइया तिन्नाणी, जे दुन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य, जे तिन्नाणी, ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, तस्स अलद्धियाणं पंच णाणाई, तिन्नि अण्णाणाई भयणाए ४, दाणलद्धिया णं पंचनाणाई, तिनि अन्नागाइं भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा ? गोयमा ! नाणी, नो अन्नाणी, नियमा एगनाणी केवलनाणी ५, एवं जाव वोरियस्सलद्धी अलद्धी य भाणियबा, बालवीरियलद्धियाणं तिन्नि नाणाइं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंचनाणाई भयणाए, पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपजवनाणवजाइं णाणाई अन्नाणाइं तिन्नि य भयणाए,
श्री. भगवती सूत्र :