________________
३२
भगवती सूत्रे
"
दिया य' संमूच्छिमाथ गर्भ व्युत्क्रन्तिकाश्च एवं भुयपरिसप्पा वि' एवम् = उरः परिसर्पवत् भुजपरिसर्पा अपि संमूच्छिम - गर्भ व्युत्क्रान्तिकभेदेन द्विविधाः प्रज्ञप्ताः । ' एवं खहयरा वि' एवम् = जलचर - स्थलचरर- तिर्यग्योनिकवदेव खेचरा अपि = खेचरतिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः पुद्गला अपि संमूच्छिम-गर्भ व्युत्क्रान्तिकभेदेन द्विविधाः प्रज्ञप्ताः । गौतमः पृच्छति - 'मणुस्पंचिदियपओग० पुच्छा ?' मनुष्यपञ्चेन्द्रियप्रयोग पृच्छा तथा च मनुष्यप चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः भदन्त कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह - 'गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता हे गौतम ! मनुष्यपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा ' - तद्यथा - 'संमुच्छिममणुस्स० गन्भवक्कंतियकतिया य' एक संमूच्छिम और दूसरे गर्भव्युत्क्रान्तिक गर्भज 'एव' भुयपरिसप्पा वि उरः परिसर्प की तरह भुजपरिसर्प भी संमूच्छिम और गर्भव्युत्क्रान्तिकके भेदसे दो प्रकारके कहे गये हैं । ( एवं खहयरा वि) जलचर स्थलचर तिर्यग्योनिक की तरह ही खेचर तिर्यग्यो निक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल भी संमूच्छिम एवं गर्भव्युत्क्रान्तिकके भेदसे दो प्रकारके कहे गये हैं । अब गौतमस्वामी प्रभुसे ऐसा पूछते हैं ' मणुस्सपंचिदियपओगपुच्छा' हे भदन्त ! मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम! 'दुविहा पण्णत्ता' मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल दो प्रकार से कहे गये हैं 'तंजहा ' जो इस प्रकार से हैं 'संमुच्छिम मणुस्स गन्भवतिय मणुस्स.' एक कतिया य' [१] संभूर्छिम रहने [२] गर्भेव्यु अन्तिः [गर्ल'] ' एवं भुयपरिसप्पा वि' भे ४ प्रभाो सुन परिसर्पना पशु में अार - [१] संभूर्च्छािम અને [૨] ગવ્યુત્ક્રાન્તિક. ના ભેદથી એ પ્રકારના ह्या छे. ' एवं खहयरा वि' જલચર અને સ્થલચરતિય ચયેાનિકની જેમ ખેચર તિય ચયાનિક પચેન્દ્રિય પ્રયાગ પરિણત પુદગલના પણ સમૃચ્છિમ અને ગર્ભવ્યુત્ક્રાન્તિકના ભેથી બે પ્રકાર કલા છે. ગૌતમ સ્વામીને પ્રશ્ન- 'मणुस्स पंचिंदियपओगपुच्छा' हे महन्त ! મનુષ્ય પંચેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદ્ગલ કેટલા પ્રકારના કહ્યાં છે?
भडावीर प्रभुनो उत्तर— 'गोयमा !" हे गौतम! 'दुविहा पण्णत्ता' मनुष्य चचेन्द्रिय प्रयोगपरित युगल मे अभरना उद्या छे. 'तं जहा ' ते मे अाश नीचे प्रभा - 'संमुच्छिममणुस्स० गन्भवक्कतिय मणुस्स' [१] संभूभि मनुष्य
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૬