SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ. १ सू.२ पुद्गलभेदनिरूपणम् २३ द्वी कहे गये गौतम ! भदन्त ! प्रयोगपरिणताः खलु पुद्गलाः कतिविधाः मज्ञप्ताः ? भगवानाह - 'गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता' हे गौतम! प्रयोगपरिणताः पुद्गलाः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, तानेवाह- तं जहा - ए गिंदियपओगपरिणया, वेइंदियपओगपरिणया जात्र पंचिदियपओगपरिणया' तद्यथा - एकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, न्द्रियप्रयोग परिणताः यावत् त्रीन्द्रियप्रयोगपरिणताः, चतुरिन्द्रियप्रयोगपरिणताः, पचेन्द्रियप्रयोगपरिणताः पुद्गलाः भवन्ति । गौतमः पृच्छति'एनिंदियपओगपरिणयाणं भंते ? पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ?' हे भदन्त ! पञ्चसु उक्तै केन्द्रियादिप्रयोगपरिणतपुद्गलेषु मध्ये एकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः खलु पुद्गलाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह - गोयमा ! पंचविद्या पण्णत्ता' हे गौतम! एकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः पुद्गलाः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, 'तं पण्णत्ता' हे भदन्त ! प्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' पंचविहा पण्णत्ता' हे प्रयोग परिणत पुद्गल पांच प्रकारके कहे गये हैं 'तंजहा' वे ये हैं 'एगिंदिय पओगपरिणया, बेइंदियपओगपरिणया, जाव पंचिदियपओगपरिणया' एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत, द्वीन्द्रिय प्रयोगपरिणत त्रिन्द्रियप्रयोगपरिणत चौइन्द्रिय प्रयोगपरिणत, ओर पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल । अब गौतमस्वामी प्रभुसे ऐसा पूछते हैं एगिंदियपओगपरिणया णं भंते ! पोरगला करविहा पण्णत्ता' हे भदन्त ! इन कथित पांच एकेन्द्रियादि प्रयोग परिणत पुद्गलोंमेंसे एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'पंचविहा पण्णत्ता' एकेन्द्रिय प्रयोग परिणतपुद्गल पांच पुद्गल डेंटला अारना उद्या छे! महावीर असुन उत्तर- 'गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता' हे गौतम! प्रयोगपरित पुहगल यांथ प्रारना उद्या छे. 'तजहा' ते प्रामा प्रभाशे छे- 'एगिदियपओगपरिणया, वेइंदियपओगपरिणया, जाब पंचिंदिय पओगपरिणया' (१) मेडेन्द्रिय प्रयोगपरिणत, (२) द्वीन्द्रिय प्रयोगपरित, (3) ત્રીન્દ્રિય પ્રયોગપતિ, (૪) ચતુરિન્દ્રિય પ્રયાગપરિણત અને (૫) પંચેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણત પુ×ä. 6 ગૌતમ સ્વામીને પ્રશ્ન— Citrus परिणयाणं भंते ! पोरगला कइविहा पण्णत्ता ?' हे छन् ! से पांच अारना मेहेन्द्रियाहि प्रयोगपरिशुत પુદ્ગલામાંથી એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદગલ કેટલા પ્રકારના કહ્યાં છે ? ઉત્તર— 'गोयमा !' हे गौतम! 'पंचविहा पण्णत्ता' એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદગા શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૬
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy