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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ. २ ० २ कर्माशीविषस्वरूपनिरूपणम् २९१ भवनवासिदेवकर्माशीविषोऽपि, यावत् - स्तनितकुमारभवनवासिदेवकर्माशीविषोऽपि । यदि असुरकुमार-यावत् - कर्माशीविषः किं पर्याप्तकासुरकुमार यावत्-कर्माशीविषः, अपर्याप्तकासुरकुमारभवनवासिकर्माशीविषः ? गौतम ! नो पर्याप्तकामुरकुमार-यावत्-कर्माशीविषः, अपर्याप्तकासुरकुमारभवनवासि यावत्-कर्माशीविषः, एवं यावत् स्तनितकुमाराणाम् । यदि वानव्यन्तरदेवभवनवासीदेव कर्माशीविष है तो कौनसे भवनवासीदेव कर्माशीविष हैं क्या जो असुरकुमार भवनवासीदेव हैं वे कर्माशीविष हैं या यावत् स्तनितकुमार भवनवासीदेव हैं वे कर्माशीविष हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! ( असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे वि जाव थणियकुमारभवणवासिदेव कम्मासीविसे वि) असुरकुमारभवनवासीदेव भी कर्माशीविष हैं यावत् स्तनितकुमार भवनवासीदेव भी कर्माशीविष हैं । ( जइ असुरकुमार जाव कम्मासीविसे किं पज्जत असुरकुमार जाव कम्मासीविसे, अपजत्त असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे) हे भदन्त ! यदि असुरकुमार भवनवासी देव कर्माशीविष हैं तो कौनसे भवनवासीदेव कर्माशीविष हैं ? क्या वे जो पर्याप्त असुरकुमारभवनवासीदेव हैं वे या जो अपर्याप्त असुरकुमारभवनवासीदेव हैं वे ? (गोयमा) हे गौतम ! (नो पजत्त असुरकुमार जाव कम्मासीविसे, अपजत्त असुरकुमार भवणवासि जाव कम्मासोविसे) जा पर्याप्त असुरकुमार भवनवासी देव हैं वे कर्माशीविष नहीं हैं, किन्तु છે તે યા ભવનવાસીદવ કશીવિષ છે? શું અસુરકુમાર ભવનવાસીદેવ છે તે કે यावत् - नितभार देव भवनवासी छे त व माशीविष छ ? 'गोयमा गौतम ! 'असुरकुमारभवणवासीदेवकम्मासीविसे वि जाव थणियकुमारभवणवासिदेव कम्मासीविसे वि , ससुरभार भवनवासी शीविष छे. यावत्-स्तनितभार भवनवासीर ५ माशीविष छ. 'जइ असुरकुमार जाव कम्मासीविसे किं पज्जत्त असुरकुमार जाव कम्मासीविसे, अपज्जत्त असुरकुमार भवणवासी कम्मासीविसे' हे भगवन् ! ने असुरकुमार भवनवासीर मशीविष छ ? तो ४॥ ભવનવાસીદેવ, શું જે પર્યાપ્ત અસુરકુમાર ભવનવાસીદેવ છે? તે અથવા જે અપર્યાપ્તક १९२मार अपनवासी छे ते ४ाशीविष छ ? ' गोयमा ' गौतम ! 'नो पज्जत्त असुरकुमार जाव कम्मासीविसे, अपज्जत्त असुरकुमारभवणवासि जाव कम्मासीविसे । २ पर्याप्त मसुरभार सपनवासी छे ते ४ाशीविष छे. ५२'तुरे अपर्याप्त मसुरेशुमार भवनवासी छे ते ४ीविष नथी. 'एवं जाव थणितकुमाराणं' श्री. भगवती सूत्र :
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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