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________________ चन्द्रिका टीका स. ८ उ. १ सू.२३ सूक्ष्मपृथ्वी कायस्वरूपनिरूपणम् २४७ अथवा त्रीणि प्रयोगपरिणतानि भवन्ति एक मिश्रपरिणतं भवति५, ' अहवा तिन्नि पओगपरिणया एगे वीससापरिणए६' अथवा त्रीणि प्रयोगपरिणतानि भवन्ति, एकं विवसापरिणत भवति६, ' अहवा एगे मीसापरिण‍ तिनि वीससापरिणया ७' अथवा एक द्रव्यं मिश्रपरिणत भवति, त्रीणि च विस्रसापरिणतानि भवन्ति ७, 'अहवा दो मीसापरिणया दो बीससापरिणया ८' अथवा द्वे द्रव्ये मिश्रपरिणते भवतः द्वे विस्रसापरिणते भवतः ८, 'अहवा तिनि मीसापरिणया एगे वीससापरिणए९' अथवा त्रीणि द्रव्याणि मिश्रपरिणतानि भवन्ति, एक विस्रसापरिणतं भवति९, ' अहवा एगे पओगपरिणए, एगे मीसापरिणए दो वीससापरिणया १०' अथवा एक द्रव्यं प्रयोगपरिणत होते हैं, दो द्रव्य मिश्र परिणत होते हैं३, अथवा - दो द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं, दो द्रव्य विस्रसा परिणत होते हैं४ । 'अहवा तिम्नि पओगपरिणया, एगे मीसा परिणए' अथवा तीन द्रव्य प्रयोग परिणत होते हैं, एक द्रव्य मिश्र परिणत होता है५, 'अहवा तिनि पओग परिणया, एगे वीससा परिणए' अथवा तीन द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं, एक द्रव्य विस्रसा परिणत होता है६, 'अहवा एगे मीसा परिणतिनि वीससा परिणए' अथवा एक द्रव्य मिश्र परिणत होता है, तीन द्रव्य विस्रसा परिणत होते हैं, 'अहवा - दो मीसा परिणए, दो बीससा परिणया' दो द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं, दो द्रव्य विस्रसा परिणत होते हैं८ । 'अहवा तिनि मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए' अथवा चार द्रव्येामेंसे तीन द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं और एक द्रव्य विसापरिणत होता है । 'अहवा एगे पओगपरिणए, एगे मीसा અને એ દ્રવ્ય મિશ્ર પરિણત હોય છે. ૩ અથવા એ દ્રવ્ય પ્રયાગ પરિણત હાય છે અને मे विस्वसा परिश्रुत होय छे. ४ ' अहवा तिनि पओगपरिणया एगे मीसापरिणए' અથવા ત્રણ દ્રવ્ય પ્રયાગ પરિણત હોય છે અને દ્રવ્ય મિશ્ર પરિણત હોય છે. પ 'अहवा तिनि पओगपरिणया एगे बीससा परिणए " અથવા ત્રણ દ્રવ્ય પ્રયોગ परिणत होय छे ! द्रव्य विससा परिणत होय छ । 'अहवा एगे मीसापरिणए तिनि वीससा परिणए' मे द्रव्य मिश्र परित होय छे याने जणु द्रव्य विससा परित होय छे. ७ 6 अहवा दो मीसा परिणए दो वीससा परिणया ' એ દ્રવ્ય મિશ્ર પ્રયાગ પરિણત હોય છે અને બે વિજ્રસા પરિણત હોય છે. अहवा तिभिमीसा परिणया एगे वीससा परिणए' अथवा गणु द्रव्यो मिश्र શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૬
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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