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________________ " 9 प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. १ सू. २३ सूक्ष्मपृथ्वीका यस्वरूपनिरूपणम् २४३ ६ अथवा एक मिश्रपरिणत, त्रीणि विस्रसापरिणतानि ७, अथवा हे मिश्रपरिणते परिणते ८, अथवा, त्रीणि मिश्रपरिणतानि, एकं विस्रसापरिणतम् ९, अथवा एक प्रयोगपरिणतम्, एक मिश्रपरिणतं द्वे विस्रसापरिणते १, अथवा एक प्रयोगपरिणत द्वे मिश्रपरिणते, एक विस्रसापरिणतम् २, अथवा द्वे प्रयोगपरिणते, एक मिश्रपरिणतम्, एक विस्रसापरिणतम् ३, यानि प्रयोगपरिणतानि एकद्रव्य मिश्रपरिणत होता है ५। ( अहवा तिनि पओगपरिणया एगे वीससा परिणए ६) अथवा तीनद्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं और एक द्रव्य विस्रसा परिणत होता है ६ । ( अहवा एगे मीसापरिणए, तिनि areerपरिणए ७ अथवा एक द्रव्य मिश्रपरिणत होता है बाकीके ३ द्रव्य विस्रसा परिणत होते हैं ७ । ( अहवा दो मीसापरिणया, दो वीससापरिणया) अथवा दो द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं और दो द्रव्य विस्रसा परिणत होते हैं ८ । ( अहवा तिनि मीसापरिणया एगे वीससा परिणए ९ ) अथवा तीन मिश्रपरिणत होते हैं और एक द्रव्य विस्रसा परिणत होता है ९ । ( अहवा एगे पओगपरिणए एगे मीसापरिणए, दोवीससा परिणया १) अथवा एकद्रव्य प्रयोगपरिणत होता है, एकद्रव्य मिश्रपरिणत होता है और दो द्रव्यवित्रासापरिणत होते हैं । ( अहवा एगे पओगपरिणए, दो मीसापरिणया, एंगे बीससापरिणए २) अथवा एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है, दो द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं और 'अहवा तिनि पओगपरिणया एगे मीसा परिणए' अथवा त्रण प्रयोग परिशुत હાય છે અને એક મિશ્રિ પરિણત હેાય છે. પ tear तिनि पगपरिणया एगे वीससा परिणया' अथवा भा द्रव्य प्रयोग परिगुत होय छे भने थोड विस्रसा પરિણત હાય છે. ૬ अहवा एगे मीसा परिणए चिन्निवीससा परिणए ' અથવા એક દ્રવ્ય મિશ્રપરિત હોય છે ખાકીના ત્રણ દ્રવ્યો વિસસાપરિત હોય છે. ૭ ' अहवा दो मीसा परिणया दो वाससा परिणया' अथवा मे द्रव्य मिश्रपरित અને એ દ્રષ્યા વિસસાપરિણત હાય છે. ૮ 6 'अहवा तिनि मीसा परिगया एगे वीसा परिणए अथवा भशु मिश्रपरित होय छे अने मे द्रव्य विससायरिगुत होय छे. ८ ' अहवा एगे पओगपरिगए, एगे मीसापरिणए दो वीससा परिणया' અથવા એક દ્રવ્ય પ્રયોગપરિણત હાય છે, એક મિશ્રપતિ હોય છે અને એ દ્રવ્ય विससा परित होय छे. १ ' अहवा एगे पओगपरिणए दो मीसा परिणया एगे वीससा परिणए' मेड द्रव्य प्रयोगधरित होय छे मे मिश्र परिशुत होय छे ( " " શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૬
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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