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भगवतीसूत्र भा. ६ की विषयानुक्रमणिका अनुक्रमाङ्क विषय
पृष्टाङ्क आठवें शतकका पहला उद्देशा १ पहले उद्देशे के विषयोंका विवरण
१-- ५ २ पुगलों के भेदोका निरूपण ३ सूक्ष्म पृथ्वीकाय के स्वरूपका निरूपण
४१-२६० दूसरा उद्देशा ४ दूसरे उद्देशे के विषयोका विवरण
२६१-२६० ५ आशीविष नाम के सर्प के स्वरूपका निरूपण २६६-३०२ ६ धर्मास्तिकाय आदिकी दुर्विज्ञेयताका निरुपण ३०३-३०९ ७ ज्ञानके भेदोंका निरूपण
३१०-३९० ८ लब्धिके स्वरूपका निरूपण
३९१-४८५ ९ ज्ञानगोचरका निरूपण
४८६.-५११ १० अठारह प्रकारके कालादि द्वारौका निरूपण
५१२-५४२ तीसरा उद्देशा ११ तीसरे उद्देशे के विषयोका विवरण
५४३-५५३ १२ जीबके अच्छेधताका निरूपण
५५४-५५९ १३ रत्नप्रभादि पृथिवीं के स्वरूपका निरूपण ५६०-५६९
चौथा उद्देशा १४ कायिकी आदिक्रिया का निरूपण
५७०-५७७ पांचवां उद्देशा १५ पांचवे उद्देशेके विषयोका विवरण
५७८-५७९ १६ परिग्रहादि क्रियाका निरूपण
५८०-५९७ १७ स्थूल माणातिपातादि प्रत्याख्यानका निरूपण ५९८-६४४
श्री. भगवती सूत्र :