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भगवती सूत्रे
स्पर्शेन्द्रियाणि प्रतीत्य भोगिनः । चतुरिन्द्रियाणां पृच्छा ? गौतम ! चतुरिन्द्रियाः कामिनोऽपि, भोगिनोऽपि तत् केनार्थेन यावत् - भोगिनोऽपि गौतम ! चक्षुरिन्द्रियं प्रतीत्य कामिनः घ्राणेन्द्रिय - जिवेन्द्रिय- स्पर्शेन्द्रियाणि प्रतीत्य भोगिनः, तत् तेनार्थेन यावत् - भोगिनोऽपि । अवशेषाः यथा जीवाः, यात्रत्इसी प्रकारसे यावत् वनस्पतिकायिकोंके जानना चाहिये । दो इन्द्रियों के भी इसी प्रकार से जानना चाहिये-परन्तु जिह्वाइन्द्रिय और स्पर्शन इन्द्रियकी अपेक्षालेकर वे भोगी हैं । [तेइंदिया वि एवं चेव, नवरं घाणिदिय जिभिदिय फासिंदियाई पडुच भोगी) तेइन्द्रियजीवों के भी इसी प्रकार से जानना चाहिये । परन्तु ये घ्राणेन्द्रिय, जिह्वाइन्द्रिय और स्पर्शनइन्द्रियकी अपेक्षा लेकर के भोगी हैं। (चउरिंदियाणं पुच्छा) हे भदन्त ! चौइन्द्रियजीव कामी हैं कि भोगी हैं ? ( गोयमा) हे गौतम ! (चउरिंदिया कामी वि भोगी वि) हे गौतम ! चौइन्द्रियजीव कामी भी हैं और भोगी भी हैं। (से केणणं जाव भोगी वि ?) हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि चौइन्द्रियजीव कामी भी हैं और भोगी भी हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! ( चक्खिदियं पच कामी, घाणिदिय जिभिदिय फासिंदियाई पहुंच भोगी से तेणट्टेणं जाव भोगी वि) चौइन्द्रिय जीव, चक्षुरिन्द्रियकी अपेक्षा लेकर के तो कामी हैं और घाणेन्द्रिय, जिह्वाइन्द्रिय, एवं स्पर्श इन्द्रियकी अपेक्षा लेकर भोगी हैं । (से तेणट्टेणं जाव भोगी वि) इस कारण हे गौतम ! पडुच्च भोगी) એજ પ્રમાણે વનસ્પતિકાયિક પર્યન્તના જીવાના વિષયમાં પણ સમજવું. શ્રીક્રિય જીવા પણ કામી હાતા નથી પણ ભાગી होय छे. પરન્તુ તે જિહવાઇન્દ્રિય અને સ્પર્શેન્દ્રિયની અપેક્ષાએ ભાગી છે, એમ . ( तेइंदिया वि एवं चेव, णवरं वार्णिदिय, जिभिदिय, फासिंदियाई पडुन भोगी) तेन्द्रिय वा पशु अभी होता नथी पशु लोगी होय छे. तेभने घ्राणेन्द्र, निहूवाद्यन्द्रिय मने स्यशेंन्द्रियनी अपेक्षा लोगी डेल छे (चउरिंदिया पुच्छा) डे लन्त ! यतुरिन्द्रिय का अभी छे, हैं लोगी छ ? ( गोयमा ) हे गौतम ( चउरिंदिया कामी वि. भोगी वि ) यतुरिन्द्रिय कवी अभी पशु छे भने लोगी पशु . ( से केणद्वेणं जाव भोगी वि) हे महन्त ! आप था अरोडा छो यतुन्द्रिय कवो अभी पागु छे भने लोगी पशु छे ? ( गोयमा ) हे गौतम! ( चखिदियं पहुचकामी. घाणिदियजिभिदियफासिदिया पडुच्च भोगी से तेणट्टेणं जात्र भोगी वि) यतुरिन्द्रियवो यक्षु इन्द्रियना अपेक्षा अभी है,
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : પ