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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.७ उ.६ म.३ भाविमारतवर्षावस्यानिरूपणम् ५५३ मारते वर्षे भरतक्षेत्रे ग्रामाऽऽकर नगर निगम-खेट-कबैट-मडम्ब द्रोणमुख-पत्तना श्रम-संवाहसंनिवेशगतं जनपदं जनसमूहम् 'चउप्पय गवेलए, खहयरे पक्खिसंघे, गामाऽरन्न-पयारनिरए तसे य पाणे' चतुष्पदाः महिष्यादयः, गवेलकाः णावः एलकाः उरभ्राः मेषाः, तान् इत्यर्थः, खेचरान् परिसंघातान् ग्रामारण्यप्रचारनिरतान सांश्च प्राणान् तथा 'बहुप्पगारे रुख-गुच्छ-गुम्म-लय-वल्लितण-पग-हरितोसहि-पवालं-कुरमादीए य तणवणम्सइकाइए विद्धंसेहिति' बहुप्रकारान् वृक्षाः आम्रादयः, गुच्छा:वृन्ताकीप्रभृतयः, गुल्मा:= नवमालिकादयः, लता-अशोकलतादयः, चल्लयः वालुक्यादयः, तृणानि= वीरणादीनि, पर्वकाः इक्षुप्रभृतयः, हरितानि दूर्वादीनि, औषध्यः फलपाकान्ताः ग्राममें रहनेवाले, आकर (खान) में रहने वाले, नगरमें रहने वाले, खेटमें रहने वाले, कर्षटमें रहनेवाले, मडम्बमें रहने वाले, द्रोणमुखमें रहने वाले, पट्टणमें रहने वाले, आश्रम में रहने वाले, इन सब का विध्वंस होगा तथा 'चउप्पय गवेलए-खहयरे पक्खिसंघे-गामारन्नपयारनिरए तसे य पाणे' चतुष्पद - चौपाये महिषी आदिकों का, गायोंका एलक-उरभ्रमेषोंका, आकाशचारी-पक्षिटोलियोंका ग्राम और जंगल वगैरहमें चलते फिरते हुए उस जीवों का 'बहुप्पग्गारे फक्खगुच्छ-गुल्म-लय-वल्लि-तण-पव्वयग-हरितो-सहि-पवालंकुरमाईए य तण वणस्सइकाइए विद्धंसेहिति' अनेक प्रकार के छीन्द्रिय जीवों का. आम्रादि वृक्षो का वृन्ताकी आदि गुच्छोंका, नवमल्लिकादि गुल्मों का. अशोकलता आदि लताओंका, वालुङ्की आदि वेलोंका, वीरण आदि तृणोंका, इक्षु आदि पर्वतोंका, दुर्वाआदि हरित घासका, शाली आदि पट्टणासमसंवाहसन्निवेसगयं जणवयं वर्षाने धरणे ॥ममा मा४२मा(मामा),न१२भा, બેટમાં, કબૂટમાં, મડમ્બમાં, નિગમમાં દ્રોણમુખમાં, પટ્ટણમાં અને આશ્રમમાં રહેનારા જૈન गाने विश्वास यश. तथा 'चउप्पयगवेलए, खहयरे, पकावी संधे गामारन-पयार निए तसे य पाणे मेंस, गाय माहि यो सानो, माना, ४ मां ઊડનારાં પક્ષીસમૂહને, ગામમાં અને વનોમાં હરતાં ફરતાં ત્રસ જીવેને પણ વિનાશ यश. 'बहुप्पगारे रुकाव-गुच्छ-गुल्म-लय-बल्लि-तण-पव्ययंग-हरितासहिपवालंकुरमादीए य तण वणस्सइकाइए विद्ध सेहिति । अनेर घरना दीन्द्रय જીવોને, આગ્રાદિ વૃક્ષોને, વૃન્તાકી (રીંગણી) આદિ ગુચ્છોને, નવમલિકા આદિ ગુમે ને, અશોકલતા આદિ લતાઓને, વાલુંડૂકી આદિ વેલેન, વીરણ આદિ તૃણને ઈક્ષુ (श२१) मा ५व माना (Histml) हुवादि रित धासनी, Alel मा धान्यनी, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫
SR No.006319
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages866
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size47 MB
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