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________________ ४५६ भगवतीसूत्रे रेति, से तेणट्रेणं गोयमा ! जाव-णो तं वेदेति, एवं नेरइयावि, जाव-वेमाणिया । से णूणं भंते ! जं वेदिस्तंति तं णिजरिस्संति, जं णिजरिस्संति तं वेदिस्संति ? गोयमा ! णो इण द्वे समटे। से केण?णं जाव-णो तं वेदिस्संति ? गोयमा ! कम्म वेदिस्संति, णो कम्मं णिजरिस्संति, से तेणट्रेणं जाव-णो तं णिजरिस्संति, एवं नेरइया वि, जाव-वेमाणिया। से णूणं भंते ! जे वेदणासमए से णिजरासमए, जे णिजरासमए से वेदणासमए ? णा इगटे समहे । से केणटेणं एवं बुच्चइ-जे वेयणा समये न से णिज्जरासमए, जे णिज्जरासमए न से वेयणासमए ? गोयमा ! जं समयं वेदेति णो तं समयं णिजाति, जं समयं णिजरेति णोतं समयं वेदेति, अन्नम्मिसमए वेदेति अन्नम्मि समए णिजाति, 'अन्ने से वेयणा समए, अन्ने से गिजरासमए, से तेणटेणं जाव न से वेयणा-समए, नेरइयाणं भंते ! जे वेयणासमए से णिज्जरासमए, जे णिज्जरासमए से वेयणासमए गोयमा ! -णो इणहे समटे ! से केणट्रेणं एवं बुच्चइ-नेरइयाणं जे वेयणासमए न से णिजरासमए, जे णि जरासमए, न से वेयणासमए ? गोयमा ! नेरइया णं जं समयं वेदति णो तं समयं गिजरंति, जं समयं णिज्जरति, णो तं समयं वेदति, अन्नम्मि समए वेदेति अन्नम्मि समए णिजाति, अण्णे से वेयणासमए, अण्णे से णिज्जरासमए, ते तेणट्रेणं जाव न से वेयणासमए एवं जाव वेमाणियाणं ॥ सू० ५ ॥ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫
SR No.006319
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages866
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size47 MB
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