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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.७ उ.३ सू.२ मूलस्कन्धादिजीवनिरूपणम् ४३३ मूला मूलजीवफुडा, कंदा कंदजीव फुडा जाव बीया बीयजीव फुडा, कम्हा णं भंते ! वणेस्सइकाइया आहारेति, कम्हा परिणामेति ? गोयमा ! मूलामूलजीवफुडा पुढवीजीवपडिबद्धा तम्हा आहारैति, तम्हा परिणामेति, कंदा कंदजीवफडा मूलजीव पडिबद्धा, तम्हा आहारेंति, तम्हा परिणामेंति, एवं जावबीया बीयजीवफडा फलजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेति, तम्हा परिणामेति ॥ सू० २ ॥ ___ छाया-अथ नूनं भदन्त ! मूलानि मूलजीवस्पृष्टानि, कन्दाः कन्दजीवस्पृष्टाः यावत्-वीजानि बीजजीवस्पृष्टानि ? हन्त गौतम ! मूलानि मूलजीवस्पृष्टानि, फन्दाः कन्दनीवस्पृष्टाः यावत्-बीजानि बीजजीवस्पृष्टानि, यदि खलु भदन्त ! मूलानि मूलजीवस्पृष्टानि, कन्दाः कन्दजीवस्पृष्टाः
मूलस्कन्धादि जीव वक्तव्यता'से गूणं भंते ! मूलो मूलजोवफुडा' इत्यादि सूत्रार्थ-(से शृणं भंते ! मूला मूलजीवफुडा, कंदा, कंदजीव फुडा
जाव बीया, बीयजीव फुडा) हे भदन्त ! क्या मूल मूलजीव से व्याप्त हैं ? कंद कंदजीवसे व्याप्त हैं ? यावत् वीज बीजजीवसे व्याप्त हैं ? (हंता गोयमा) हां गौतम ! (मूला मूलजीव फुडा, कंदा कंदजीव फुडा, जाव बीया बीयजीव फुडा) मूल मूलजीवसे व्याप्त हैं, कन्द कन्दजीवसे व्याप्त हैं, यावत् बीज बीजजीवसे व्याप्त हैं। (जइ णं
મૂળ સ્કન્ધ આદિ છવ વક્તવ્યતા"से णूणं भंते! मूला मूलजीवफुडा' या
सूत्राथ-(से गूणं भंते ! मूला मूलाजीवफूडा, कंदा कंदजीव फुडा, जावबीया बीय जीव फुडा?) 3 rd! Q भूक भूगाथा व्यास य छ ? शु ४६ kotथा व्यास डाय छ, (यावत) मी. मी0tथा व्यास छे. (हंता गोयमा') गोतम मूला मूलजीव फुडा कंदा कंदजीवफुडा जाव बीया बीय जीव फुडा) भूक भूण वाथी व्या राय छ, ४६४६ यी व्यास होय यावत मी. मी थी व्यास होय छे. (जइणं भंते ! मूला मूलजीव
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫