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________________ प्रमेयचन्द्रिका टी० ० ६ उ० ३ सू० ४ कर्मस्थितिनिरूपणम् ८८१ संयतासंयतो बध्नाति ? गौतम ! संयतः स्याद् बध्नाति, स्याद् न बध्नाति' असंयतो बध्नाति, संयताऽसंयतोऽपि बध्नाति, नोसंयतनोअसंयत-नोसंयता संयतो न बध्नाति, एवम् आयुष्कवर्जाः सप्तापि, आयुष्कम् अधस्तनास्त्रयो णा असंजय-णो सजयासंजए बंध?) हे भदन्त ! ज्ञानावरणीय कर्म क्या संयत जीव बांधता है ? असंयत जीव बांधता है ? या संयतासंयत जीव बांधता है ? अथवा-जो नो संयत होता है वह बांधता है ? या जो नो असंयत या नो संयतासंयत जीव होता है वह बांधता है । (गोयमा) हे गौतम ! (संजए सिय बंधइ, सिय णो बंधइ, असंजए बंधइ, संजयासंजए वि बंधइ, णो संजय, णो असंजय णो संजयासंजए ण बंधइ) ज्ञानावरणीय कर्म संयत बांधना भी है और नहीं भी बांधता है। पर जो असंयत होता है वह बांधता है तथा जो संयतासंयत होता है वह भी बांधता है। तथा जो नो संयत होता है, नो असंयत होता है, नो संयतासंयत होता है, वह नहीं बांधता है । ( एवं आउगवजाओ सत्त वि, आउगे हेडिल्ला तिणि भयणाए, उवरिल्ले ण बंधइ) इसी तरह से आयुकर्म को छोड़कर शेष सात कर्म प्रकृतियों के विषय में भी जानना चाहिये। आयुकर्म के विषय में ऐसा जानना चाहिये कि जो जीव संयत हो, असंयत हो, या संयतासंयत हो वह आयुकर्म को बांधता भी है जए बधइ, संजयासंजए बधइ, णे संजय, णा असंजय, णो सजयासए बधा १) महन्त! शु सयत ज्ञानावरणीय भ मांधे छ ? | અસંયત જીવ તે કમ બાંધે છે? શું સંયતાસંયત જીવ તે કર્મ બાંધે છે? અથવા શું ને સંયત જીવ તે કર્મ બાંધે છે? ને અસંયત જીવ તે કર્મ બાંધે છે ? શું ને સંયતાસંયત જીવ તે કર્મ બંધે છે ? (गोयमा !) गौतम ! (संजए सिय बधइ सिय णो बघह, असंजए बंधइ, संजयासंजए वि बधइ, णो संजय, णो असंजय णो संजयासंजए ण बधह) જ્ઞાનાવરણીય કર્મ સંયત જીવ બાંધે પણ છે અને નથી પણ બાંધતે, પણ અસંયત જીવ તથા સંયતાસંયત છવ બાંધે છે, ને સંયત, ને અસંયત અને ને સંયતાસંયત જ જ્ઞાનાવરણીય કર્મ બાંધતા નથી. (एच आउगवजाओ सत्त वि, आउगे हेडिल्ला तिण्णि भयणाए, उवरिल्ले ण यं धइ ) आयु सिवायनी साते प्रतियाना विषयमा ५ २ प्रभा. ણે જ સમજવું. આયુકર્મના વિષયમાં એવું સમજવું કે જે જીવ સંયત હોય, અસંયત હોય, અથવા તે સંયતાસંયત હોય તે આયુકમ બાંધે છે પણ ખરે અને નથી પણ બાંધતો. પરંતુ જે જીવ નો સંયત હોય, ને અસંયત श्री. भगवती सूत्र:४
SR No.006318
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1142
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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