________________
६९२
भगवतीसूत्रे टीका-से Yणं भंते ! दिया उज्जोए, राइं अंधयारे?' गौतमः पृच्छति-हे भदन्त । तत् किम् नूनं निश्चितं दिवा, दिवसे उद्योतः प्रकाशः, रात्रौ च अन्धकारो भवति ? भगवान् आह-हंता, गोयमा ! जाव-अंधयारे' हे गौतम ! हंत सत्यम् , यावत्दिवा उद्योतः, रात्रौ अन्धकारश्च भवति । गौतमस्तत्र हेतुं पृच्छति-से केणटेणं.' हे भदन्त ! तत् केनार्थेन दिवा प्रकाशः, रात्रौ चान्धकारो भवति ? । भगवान् तत्र हेतुं प्रतिपादयति ' गोयमा ! दिया सुभा पोग्गला, सुभे पोग्गलपरिणामे ' हे गौतम ! दिवा दिवसे शुभाः पुद्गला भवन्ति, दिनकरकिरणसम्पर्कात् , शुभश्च _____टीकार्थ--पुद्गल के अधिकार को लेकर ही सूत्रकार उस विषय संबंधी विशेष वक्तव्यता का कथन करते हैं-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है कि-(से गूणं भंते ! दिया उजोए राइं अंधयारे ? ) हे भदन्त ! दिन में प्रकाश और रात्रि में अंधेरा होता है यह निश्चित है न? इस के उत्तर में प्रभु गौतम से कहते हैं कि (हंता गोयमा जाव अंधयारे) हां गौतम ! यह निश्चित है दिन में प्रकाश और रात्रि में अंधकार होता है। इस पर गौतम प्रभु से पुनः प्रश्न करते हैं कि (से केणटेणं ) हे भदन्त ! ऐसा जो होता है सो क्यों होता है ? अर्थात् दिन में प्रकाश और रात्रि में अंधेरा जो होता है सो उसके होने में क्या कारण है ? इसके समाधान निमित्त प्रभु गौतम से कहते हैं कि (गोयमा) हे गौतम ! (दिया सुभा पोग्गला, सुभे पोग्गलपरिणामे) दिवस में शुभ पुद्गल रहते हैं और शुभ पुद्गल परिणाम होता है अर्थात्
ટકાઈ – દ્રોને અધિકાર ચાલી રહ્યો છે, તેથી સૂત્રકાર પલોનું વિશેષ નિરૂપણ કરવાને માટે નીચેના પ્રશ્નોત્તરે આપે છે –
गौतम २१ाभी महावीर प्रभुने सेवा प्रल पूछे छ, “से गृणं भवे ! दिया उज्जोए राई अधयारे १ ) महन्त ! से बात तो निश्चित छ २१ દિવસે પ્રકાશ અને રાત્રે અંધકાર હોય છે? તેને જવાબ આપતા મહાવીર प्रभु ४ छ (हता गोयमा। जाव अधयारे ) &, गौतम ! ये बात तो નિશ્ચિત છે કે દિવસે પ્રકાશ અને રાત્રે અંધકાર હોય છે. તેનું કારણ જાણવા भाट गौतम स्वामी पछे छे , “से केणदेणं?" महन्त ! भा५॥ ॥२६ એવું કહે છે કે દિવસે પ્રકાશ અને રાત્રે અંધકાર હોય છે? મહાવીર પ્રભુ
छ-" गोयमा ! " 3 गौतम ! (दिया सुभा पोग्गला, सुभे पोग्गलपरिणामे ) દિવસે શુભ પુલે હોય છે અને શુભ પુલ પરિણામ હોય છે. એટલે કે सूर्यन रियो ५४ी ya परिणाम शुस डाय छ, “ राई असुभा
श्री. भगवती सूत्र:४