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भगवतीसरे
रिशन्मुश्वि अवस्थानकाल: 'माहिदे चउचीसं राइंदियाई, वीस य मुहुत्ता' महेन्द्रे देवलोके चतुर्विइति रात्रिदिवानि, विंशति मुहुचि अवस्थितिकालो भवति 'बंभलोए पंचचत्तालीसं राइंदियाइं । ब्रह्मलोके पञ्चचत्वारिंशतं रात्रिदिवानि अवस्थितिकालः । 'लए नउई राइंदियाइं ' लान्तके देवलोके नवति रात्रिदिवानि भवति अवस्थितियालः । ' महासु के सर्टि राइंदियसयं ' महाशुक्रे देवलोके षष्टि रात्रिदिवशतानि, पाट्यधिकैकशत रात्रिंदिवानि अवस्थितिकालः, 'सहरसारे दो राइंदियसयाई' सहस्रारे देवलोके द्वे रात्रिंदिवशते रात्रिदिवशत द्वयम् अवस्थानकालो भवति, ' आणय-पाणयाणं खेज्जा मासा ' आनत-प्राणत योः देवलोकयोः संख्येयान मासान् अवस्थितिकालो भवति, अत्र विरह कालस्य संख्यातमासरूपस्य द्विगुणितरवेऽपि संख्यातत्वमेव भवतीत्य व सेयम् । तथा'आरण-ऽचुयाणं संखेजाई वासाई' आरणा-स्युतयो देवलोक्योः संर येयानि ज्योतिषिक, सौधर्म-ईशान इन देवलोकों में अडतालीस मुहूर्त का अवस्थान काल है। (सणंकुमारे अट्ठारसराइंदियाइं चत्तालीसयम हुत्ता) सनत्कुमार देवलोक में अठारह रातदिन और चालीस मुहूर्त का अवस्थान काल है। (माहिंदे चउवीसं राइंदियाई वीसयमुहत्ता) महेन्द्र देवलोक में चौवीस रातदिन और बीस मुहूर्त का अवस्थान काल है। (बंभलोए पंचचत्तालीसं राइंदियाई) ब्राह्मलोक नामके देवलोक में पैंतालीस रातदिन का अवस्थान काल है। (लंतए नउइ राइंदियाइं) लान्तक देवलोक में नब्बे रातदिन का अवस्थान काल है। (महासुक्के सट्टि राइंदियसयं) महा शुक्र देवलोक में एक सौ साठ रातदिन का अवस्थान काल है। (सहरसारे दो राइंदियसयाई) सहस्रार देवलोक में दो सौ रातदिन का अवस्थान काल है। (आणयपाणयाणं संखेजामासा) आनतप्राणत देवलोकों में संख्यात मास का अवस्थान काल है। १८ रात्रि-हिवस मने ४० भुताने! स१२थान ॥ छ. ( माहि दे चउवीसं राइदिवाई वीसय मुहुत्ता) भाडेन्द्र सोमा २४ रात्रि-हिपस सन २० भुडूतना सस्थान | छ. (बंभलोए पचचत्तालीस राइ दियाइ) प्रता नामना वम ४५ रात्रि-हसन अवस्थान ४ छ. (लतए नउइ राई. दियाई) ends gravi ८० त्रि-हिस। २५१२थान 00 छे. ( महासुक्के सट्टि राईदियसयं) माशु पसभा १६० त्रि-सिनो अवस्थान ॥ छे. ( सहस्सारे दो राईदियसयाई) सना२ देवतभा २०० रात्रि-हसन। अपस्यान । छ. (आणयपाणयाण संखेज्जा मासा) मानतात पोi
श्री. भगवती सूत्र:४