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प्रमेयचन्द्रिका टी०२०५७०८०१ पुद्गलस्वरूपनिरूपणम्
॥ एत्तो खेत्ताएसेणं चेव सपएसिया असंखगुणा,
एगपएसोगाढे मोत्तुं सेसाऽवगाहणया, ते पुण दपएसोगाहणाइया सचपोग्गला सेसा,
तेय असंखेज्जगुणा अवगाहणट्ठाण वाहुल्ला, दवेण हौति एत्तो, सपएसा पोग्गला विसेसऽहिया,
कालेण य भावेण य, एमेव भवे विसेसऽहिया, भावाइया वुड्डी, असंखगुणिया जं अपएसाणं,
तो सप्पएसियाणं, खेत्ताइविसेसपरिखुट्टी। " एत्ता खेत्ताएसेणं चेव सपएसिया असंखगुणा, एगपएसोगाढे मोतुं सेसावगाहणया" ___एक प्रदेश में अवगाही पुद्गलों को छोडकर शेष पुद्गलों की-जो कि
आकाश के व्यादिक प्रदेशों में अवगाही हो रहे हैं-अपेक्षा लेकर क्षेत्रादेश द्वारा ही सप्रदेशिक पुद्गल उस एक एक प्राप्त राशि से अमः ख्यात गुणित हैं। __ " ते पुण दुपएसोगाहणाइया सव्यपोग्गला सेसा, ते य असंखेज्ज गुणा अवगाहणटाणबाहुल्ला"
यहां पर आकाश दद्यादिक प्रदेशों में अवगाहीहुए पुद्गलों को जो असंख्यात गुणित प्रकट किये गये हैं-उसका कारण यह है कि अवगा. हनास्थान असंख्यात गुणित हैं।
"दव्वेण होंति एसो सपएसा पोग्गला विसेसाहिया कालेण य भावेण य एमेव भवे विसेसाहियो भावाइयाधुड्डी असंखगुणिया जं
( एत्तो खेत्ताएसे णं चेव सपएसिया असंखगुणा, एगपएसोगाढे मोत्तुं सेसा. वगाहणया) में प्रशनी मनापा पुरस सिवायनi Yरसोरे આકાશના બે, ત્રણ આદિ પ્રદેશની અવગાહના કરીને રહેતાં હોય છે, તેમની અપેક્ષાએ ક્ષેત્રાદેશથી જ સંપદેશિક પુદ્ગલે અસંખ્યાતગણ છે.
(ते पुण दुपएसोगाहणाइया सव्वपोग्गला सेसा, ते य .असंखेज्जगुणा अवगाहणदाणबाहुल्ला ) A8 PAHशन मे, म हेशमा २९ पद्ध. લેને જે અસંખ્યાતગણું કહ્યા છે તેનું કારણ એ છે કે અવગાહના સ્થાન અસંખ્યાતગણી છે.
(दव्वेण होंति एत्तो सपएसा पोग्गला बिसेबाहिया कालेण य भावेण य एमेव भवे विसेसाहिया भावाइयावुझ्ढी असंसगुणिया जं अपएसाणं, तो सप्पए
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪