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মলয়বঙ্কিা ৩০৭৬৩ নংঙ্কিাল মালামাহি বি ৭৫৩ राकाराच्छादितो वाहन(पालकी)विशेषः, स्यन्दमानिका-पटाच्छादितबाहन (म्याना) रूपा । 'लोही-लोहकडाह-कडच्छुया परिग्गहिया भवंति' लौही-लोहकटाहकडुच्छुयानि परिगृहीतानि भवन्ति, तत्र लौहो-मण्डकादिपचनिका, लोहकटाहः लोहमयः पाकपात्रविशेषः, कडुच्छुयम्-परिवेषणपात्रविशेषो दर्वीपदवाच्यो (कडछी) इतिप्रसिद्धम्। 'भवणा परिग्गहिया भवंति ' भवनानि परिगृहीतानि भवन्ति, 'देवा, देवीओ, मणुस्सा, मणुस्सीओ, तिरिक्वजोणिया, तिरिक्खजोगिणीओ परिग्गहिया ओ भवंति 'देवाः, देव्यः, मनुष्याः, मनुष्यः, तिर्ययोनिकाः तिर्यग्रयोनयः तिरश्चयः परिगृहीता भवन्ति, 'आसण-सयण-खंभ-भंड-सचित्ताऽचित्त-मीसि. याई दवाइं परिग्गदियाइं भवंति ' आसन-शयन-स्तम्भ-भाण्ड-सचिसाऽचित्त पुरुष जिसे अपने कंधों पर रख कर ले चलते हैं ऐसी छोटी पालकी, दिल्ली-जिसमें घोडे जोते जाते हैं ऐसा यान विशेष, शिधिका-शिखर जैसे आकार से आच्छादित हुआ वाहनविशेष - बड़ी पालकी, स्यन्दमानिका - म्याना, ये सब पूर्वोक्त स्थान पंचेन्द्रिय तियंचों द्वारा परिगृहीत होते हैं ' लोही-लोहाकडाह, कडुच्छुया परिग्गहिया भवंति' लोढी - तवा, लोहकटाह-कडाही, कडुच्छय-कर छली, ये सब भी तिर्यंचों द्वारा परिगृहीत होते हैं (भवणा परिग्गहिया भवंति) भवन भी इन तिथंचों द्वारा परिगृहीत होते हैं । (देवा,देवीओ, मणुस्सा, मणुस्सीओ, तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ परिग्गहियाओ भवं. ति ) इसी तरह से देव, देवीयां, मनुष्य, मनुष्यनियां, तिर्यंच पुरुषवेद वाले और तिर्यंचनियां-तियं च स्त्रीवेद वाले ये सब भी इनके द्वारा प. रिगृहीत होते हैं । ( आसण-सयण-खंभ-भंड-सचित्ताचित्तमीसियाई पाभी), यु-५ (सिंsaluvi १५रातु मे पाडन), थिति (111) શિબિકા (શીખરના જેવા આકારથી આચ્છાદિત વાહન અથવા મેટી પાલખી), २य-मानित। ( न्यानो ) मा पाइनाना तमे। परिय ४२ता डोय छे (लोही) सोढानो ताप31, (लोहकडाइ ) दानी ४ाडी, (कडुच्छ्य ) ४४छी शान ५५५ ते परियड ४२ छ. ( भवणा परिग्गहिया भवति ) के तिय थे। २ मनाना ५८५ परियड ४२रातसोय छे. ( देवा, देवीओ, मणुम्सा, मणुस्सीओ, तिरिक्खजोणिया, तिरिक्खजोणिणीओ परि गहियाओ भवति ) २०८ प्रमाणे ४३, हैपीमा, मनुष्यो, मनुष्य तिना श्रीमा, तिय"या, तिय"यह सी, भात ५ तभना १3 परिजीत डोय है. ( आखण, समण, खंभ भड, सचिचाचित्त
श्री. भगवती सूत्र:४