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________________ भगवतीसूत्रे खलु भदन्त ! स्कन्धः एजते ? गौतम ! स्याद् एजते, १ स्याद नो एजते, २ स्याद् देशः एजते नो देश एजते, ३ स्याद् देश एजते-नो देशौ एजेते, ४ स्याद् देशी एजते-नो देशः एजते, ५। चतुष्पदेशिकः खलु भदन्त ! स्कन्धः एजते ? गौतम ! स्याद् एजते, १ स्याद् नो एजते, २ स्याद् देशः एजते-नो देशः एजते, ३ स्याद् देशः एजते-नो देशाः एजन्ते, ४ स्याद् देशाः एजन्ते, नो देशः एजते, कभी वह नहीं भी कंपित होता है और उस उस भावरूप से कभी वह नहीं भी परिणमता है ।(सिय देसे एयइ सिय देसे नो एयइ)कभी कभी उसका एकदेश कंपित होता है और एकदेश कंपित नहीं होता है। (तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयइ० ) हे भदन्त ! तीन प्रदेशवाला स्कंध कंपता है क्या ? (गोयमा ) हे गौतम (सिय एयइ, सिय नो एयइ, सिय देसे एयइ नो देसे एयइ ) कंपता भी है और नहीं भी कंपता है। उसका कभी एक देश भी कंपता है और एकदेश नहीं कंपता है । (सिय देसे एयइ नो देसा एयंति ) कभी उसका एकदेश कंपता है, अनेक देश नहीं करते हैं। (सिय देसा एयंति नो देसे एयइ ) कभी उसके अनेक देश कंपते हैं, एकदेश नहीं कपता है । (चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयइ ) हे भदन्त चार प्रदेशों वाला स्कन्ध कंपता है क्या ? ( गोयमा ) हे गौतम ! (सिय एयइ, सिय नो एयह सिय देसे एयइ णो देसे एयइ, सिय देसे एयइ णो देसा एयंति, सिय देसा एयति नो देसे एयइ, सिय देसा एयंति णो देसा एयंति) चार प्रदेशों ५५ यता नथी मने ते ते मावईथे परिशुभता पy नथी. (सिय देसे एयइ, सिय देसे नो एयई) या२४ तेनो मे देश (HI) ४पित थाय छ, अने मे हेश पित थत नथी. (तिप्पएसिए णं भंते ! खधे एयइ०) महन्त । शु त्रय प्रशवाणी २ छ भ२।१ (गोयमा! सिय एयइ, सिय नो एयह, सिय देसे एयइ, नो देसे एयइ) गौतम! तपेछ ५५ । अनेनथी પણ કંપ-કયારેક તેને એક દેશ જ કરે છે અને કયારેક એક દેશ પણ पता नथी. (सिय देसे एयइ, नो देसा एयति) यारे तन मेश छ भने मने ४५ता नथी, (सिय देसा एयति, नो देसे एयइ ) या३७ ते। मन देश पे छे, मे देश ४५ते। नथी. (चउप्पएसिए णं भंते! खंधे एयड) महन्त ! या२ प्रशावाणे २४५ ४१छे ५२।१ (गोयमा ! सिय एयड, सिय नो एयइ, सिय देसे एयह णो देसे एयइ, सिय देसे एयह, णो देसा एयति, सिय देसा एयति नो देसे पयइ, सिय देसा एयति णो देसा एयति ) શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪
SR No.006318
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1142
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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