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________________ २८० भगवतीसूत्रे टीका-अथ प्रमाणपदार्थ जिज्ञासमानो गौतमः पृच्छति-'से किंतं पमाणे ?' इत्यादि । अथ हे भदन्त ! विम् तत् प्रमाणम् ? कः खलु प्रमाणपदार्थः ? इति प्रश्नाशयः । भगवानाह- पमाणे चउबिहे पणत्ते' इत्यादि । हे गौतम ! प्रमाणं चतुर्विधं प्रज्ञप्तम्, प्रमाणस्य चत्वारो भेदाः कथिताः तान् भेदानाह-'तं जहापच्चक्खे, अणुमाणे, ओवम्मे, आगमे' तद्यथा-प्रत्यक्षम् , अनुमानम् , औपम्यम् , आगमश्च, तत्र प्रमीयते सम्पूर्णतया वस्तु यथार्थरूपेण ज्ञायते अनेनेति प्रमाणम् १ माणे, ओवम्मे, आगमे ) प्रत्यक्ष १, अनुमान २, उपमान ३, और आगम (जहा अणुओगदारे तहा यवं पमाणं, जाव-(तेण परं नो अत्तागमे, नो अणंतरागमे, परंपरागमे) जिस प्रकार से अनुयोग द्वार सूत्र में प्रमाण के संबंध में विवेचन किया गया है, उसी प्रकार से यहां पर भी जानना चाहिये। यावत् "तेन परं नो आत्मागमः, नो अनन्तरागमः, परंपरागमः" इस पाठ तक। टीकार्थ-प्रमाण पदार्थ को जानने की इच्छापाले गौतम स्वामी प्रभुसे पूछते हैं कि-(से किं तं पमाणे) इत्यादि हे भदन्त ! वह प्रमाण क्या है ? अर्थात् प्रमाण पदार्थ क्या है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं कि (पमाणे चउविहे पण्णत्ते) गौतम ! प्रमाण चार प्रकार का कहा गया है। (तं जहा) प्रमाण के ये चार प्रकार ये हैं-(तं पच्चक्खे, अणुः माणे, ओवम्मे, अगमे ) प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान और आगम । जिसके द्वारा पूर्णवस्तु यथार्थरूप से जानी जाती है उसका नाम प्रमाण आगमे ) (१) प्रत्यक्ष, (२) अनुमान (3) 6पमान मन (४) मागम (जहा अणुओगदारे तहा णेर ध्वं पमाणं, जाव-" तेण पर नो अत्तागमे, नो अण तरागमे, (पर पगगमे ) मनुयो वाम प्रभा विषेरे प्रमाणे विवेयन ४२पामा मा०यु छ, मे ८ प्रमाणे मी पण सम यु. “ तेन परं नो आत्मागमः नो अनन्तरागमः, परंपरागमः'' ते विवेयननो 20 सूत्र५४ सुधानी मा RAN વિષયમાં ગ્રહણ કરવું જોઈએ ટીકાર્થ–પ્રમાણ પદનો ભાવાર્થ સમજવાની ઇચ્છાવાળા ગૌતમસ્વામી महावीर प्रसुन सा प्रमाणे प्रश्न पूछे छ-" से कि त पमाणे" महन्त ! प्रभाए मेटले शु१ तनो वाम मापता महावीर प्रभु छ “पमाणे घउविहे पण्णत्ते' 3 गौतम ! प्रमाण या२ ॥२॥ ४i छ-" तं जहा" ते या२ रे। म प्रमाणे छ-" त पच्चक्खे, अणुमाणे, ओवम्मे, आगमे" प्रत्यक्ष. અનુમાન, ઉપમાન અને આગમ. જેના દ્વારા આખી વસ્તુને યથાર્થ રીતે જાણી श्री.भगवती सूत्र:४
SR No.006318
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1142
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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