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प्रमैयचन्द्रिका टीका श० ५ 80 ४ सू०३ हरिनगमेषिदेवशक्तिनिरूपणम् २२१ इति तृतीयो भङ्गः?, अथ चतुर्थमाह-'जोणिं साहरइ ?' योनितो योनिद्वारा उदराद गर्भ निष्कास्य योनि योनिद्वारेणैव संहरति उदरान्तरं प्रवेशयति किम् ? इति चतुर्थो भङ्गो विज्ञेयः। ____ भगवान् उत्तरयति- गोयमा ! नो गब्भाओ गम्भं साहरइ ' हे गौतम ! नो गर्भतो गर्भ संहरति, एतेनोक्तप्रथमभङ्गो निराकृतः, अथ द्वितीयं निराकर्तुमाह'नो गन्भाओ जोणि साहरइ' नो गर्भतो योनि संहरति, तथा चोक्तद्वितीय भङ्गो निरस्तः, अथ चतुर्थ निरसितुमाह-'नो जोणिो जोणिं साहरइ'नो योनितो पद द्वारा प्रकट की गई है ' जोणिओ जोणिं साहरइ ' यह चतुर्थ भंग है इसमें यह पूछा गया है कि योनिद्वारा उदर से गर्भ को निकाल कर योनिद्वारा ही उस गर्भ को उदरान्तर में क्या वह प्रवेश कराता है ? तात्पर्य इसका यह है कि वह देव प्रथम स्त्री के गर्भाशय में से गर्भ को पकड़ कर उसे उसकी योनिद्वारा बाहिर निकालता है और फिर बाद में दूसरी स्त्री के गर्भाशय में जो उसे पहुँचाता है सो क्या उसकी योनिद्वारा ही उसे वहां पहुँचाता है ?
इन प्रश्नों का उत्तर देते हुए प्रभु गौतम से कहते हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! 'नो गब्भाओ गन्भं साहरइ ' वह हरिनेगमेषी देव प्रथम स्त्री के गर्भाशय में से गर्भ को लेकर दूसरी स्त्री के गर्भाशय में उसे नहीं पहुँचाता है इस कथन से प्रथम भंग का प्रभु ने निषेध किया है। 'नो गम्भाओ जोणिं साहरइ' इस सूत्र पाठ से द्वितीयभंग का निषेध किया है अर्थात् वह एक गर्भाशय में से गर्भ को लेकर योनिद्वारा
या। ममा प्रभारी छ- ( जोणिओ जोणि साहरइ) शुत है નિદ્વારા એક સ્ત્રીના ગર્ભાશયમાંથી ગર્ભને બહાર કાઢીને બીજી સ્ત્રીની પેનિદ્વારા તેને તેના ગર્ભાશયમાં મૂકે છે ? પ્રક્ષકારના પ્રશ્નનું તાત્પર્ય એ છે કે શું તે હરિભેગમેષી દેવ પ્રથમ સ્ત્રીના ગર્ભાશયમાંથી પકડીને તેની નિમાંથી ગર્ભને બહાર કાઢે છે અને પછી બીજી સ્ત્રીના નિદ્વારા તે ગર્ભને તેના ગર્ભાશયમાં મૂકી દે છે?
प्रश्नोन। उत्त२ मा५तi मडावीर प्रभु ४ छ । “ गोयमा ! " गौतम ! "नो गब्भाओ गभ साहरइ" ते रिशमेषी हे प्रथम सीना आशियमा તેને પહોંચાડતું નથી. આ રીતે પહેલા ભાગને (વૈકલ્પિક પ્રશ્નને) પ્રભદ્વારા नारमा पास अपाये छे. “नो गम्भाओ जेणिं साहरइ' ते मे मी. શયમાંથી ગજેને ઉઠાવી લઈને નિદ્વારા તેને બીજી સ્ત્રીના ગર્ભાશયમાં મૂકતે
श्री भगवती सूत्र:४