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________________ - ९०२ भगवतीसूत्रे सोमा णामं रायहाणी पण्णत्ता, एग जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं जबूद्दीवप्पमाणा, वेमाणिआणं पमाणस्स अद्धं णेयच्या, जाव-उवरियलेणं, सोलसजोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साई पंच य सत्तापण्णत्ता' हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराज ईशानके लोकपाल सोममहाराज की सोमा नामक राजधानी कहां पर है ? तो इस प्रश्नका उत्तर देते हुए प्रभु गोतमसे कहते हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! 'सुमणस्समहाविमाणस्स अहे सपक्खि सपडिदिसिं असंखेजाइं जोयणसयसहस्साई ओगाहित्ता' सुमन महाविमानके नीचे चारों दिशाओकी ओर असंख्यात लाखयोजनों तक आगे जाकर जो स्थान आता है 'एत्थ णं' ठीक इसी स्थान पर 'ईसाणस्स देविंदस्स देवरणो' देवेन्द्र देवराज ईशानके 'सोमस्स महारणो' सोम महाराजकी 'सोमाणामं रायहाणी पण्णत्ता' सोमानामकी राजधानी कही गई है ' एगं जोयण सयसहस्सं आयामविक्खभेणं जंबूदीवप्पमाणा' इसकी लंबाईचौडाई एक लाख योजनकी है और इसी कारणसे इसे जबूद्वीपके प्रमाण तुल्य कहा गया है । वेमाणिया णं पमाणस्स अद्धं णेयव्या' इसमें आये हुए कोट प्रासाद आदिकोंका प्रमाण वैौनिक देवों के कोट प्राकार प्रासाद आदिकोंकी अपेक्षा आधा आधा है। और यह आधार प्रमाण 'जाव उवरियलेणं' गृहके पीठबंध तक ही ग्रहण यहाणी पण्णता?? 3 मह-त! हेवेन्द्र, हेव२।०४ शानना वास सोममहारानी સેમા નામની રાજધાની કયાં આવેલી છે? મહાવીર પ્રભુ ઉત્તર આપતાં કહે છે કે'गोयमा!' ७ गायमा! सुमणस्स महाविमाणस्स अहे सपक्खि सपडिदिसि असंखेज्जाई जोयणसयसहस्साइं ओगाहित्ता' सुमन महाविमानती नीये सारे દિશાઓ અને વિદિશાઓ (ખૂણા )માં અસંખ્યાત લાખ જન પર્યત આગળ vdio स्थान मा छे 'एत्थणं' मे २थान ५२ 'ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो देवेन्द्र, ११२०५ शानना याद 'सोमस्स महारणो' सेम महारानी 'सोमाणामं रायहाणी पण्णता' सोमा नामनी रायानी छ- "एगं जोयण सयसहस्सं आयामविक्खंभेणं जंबूद्दीवप्पमाणा' तनी मा मने पापा એક લાખ જનની છે. તેથી તે રાજધાનીનું પ્રમાણ ખૂદ્વીપના સમાન કહ્યું છે. 'वेमाणिया णं पमाणस्स अद्धं णेयव्वा' तमां माता प्रासाही, डोट मार्नुि પ્રમાણ (માપ) વૈમાનિક દેના પ્રાસાદ, કેટ આદિના પ્રમાણથી અર્ધ સમજવું. અને a मधु प्रभाएर 'जाव उवरियलेणं, डना पाम पन्त ४ अड ४२वार्नु छ, HTTEATHA શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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