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________________ ८१० भगवतीमूत्रे रोगाइ वा कुलरोगा इति वा, 'गामरोगा इ वा' ग्रामरोगा इति वा, 'मंडलरोगा इ वा' मण्डल 'प्रान्ते' इति प्रसिद्धम् तत्सम्बन्धिनो रोगा मण्डलरोगा इति वा, 'नयररोगा इ वा' नगररोगा इति वा, 'सीसवेयणा इ वा' शीर्षवेदना शिरसः पीडा इति चा, 'अच्छिवेयणा इ वा' अक्षिवेदना नेत्रपीडा इति वा, 'कण्णवेयणा इ वा' कर्णवेदना इति वा, 'नहवेयणा इ वा' नखवेदना इति वा, 'दंत वेयणा इ वा' दन्तवेदना इति चा, 'इंदग्गहा हवा' इन्द्रग्रहा उन्मादहेतव इति वा इन्द्रकृतोपद्रवविशेषाः इन्द्रावेशा इत्यर्थः 'खंदग्गहा इवा' स्कन्द ग्रहाः कार्तिकेयग्रहाः स्कन्दावेशा इति वा, 'कुमारग्गहा इ वा ' कुमारग्रहाः बालग्रहा इति वा कुमारावेशाः 'जक्खग्गहा इ वा ' यक्षग्रहा इति वा, यक्षा व्यन्तरविशेषास्तद्ग्रहा इत्यर्थः । 'भूयग्गहा इ वा' भूतग्रहा इति वा, 'एगाहिया इ वा' एकाहिकाः प्रतिदिनागन्तुका ज्वरविशेषा इति वा, 'बेयाहिया पहुँचानेवाले मषिक, शलभ' पक्षी आदिकोंका होना, 'कुलरोगाइ वा' कुलमें रोगोंका होना, गामरोगाइ वा' ग्राममें रोगोंका होना, मंडलरोगाइ वा' प्रांतोमें रोगोका होना, 'नयर रोगाइ वा' नगरमें रोगोंका होना, 'मीसवेयणाइ वा' शिरोंमें पीडाका होना 'अच्छिवेयणा इवा' आंखोंमें पीडाका होना, 'कण्ण वेयणाइवा' कानों में पीडा का होना 'नहवेयणाइ वा' नखोंमें वेदना का होना, दंतइयणाइ वा' दांतोंमें पीडाका होना, 'इंदग्गहाइवा' इन्द्रकृत उपद्रवरूप उन्माद आदिकोंके कारणों का होना, 'खंदग्गहाइ वा, कीर्तिकेयग्रह स्कन्दाइश, 'कुमारग्गहाइ वा' बालग्रह, जक्खग्गहाइ वा, यक्षरूप व्यन्तरविशेषकृत उपद्रवरूपग्रह 'भूयग्गहाइ वा भूतग्रह 'एगाहियाइ वा प्रतिदिन आनेवाला ज्वर, 'इयाहियावा' भने पक्षी-मानी उत्पत्ति थवी, 'कुलरोगाइ वा' मा गोन। खावो थवा, 'गामरोगाइ वा' मा गोन। वो थयो, ‘मंडलरोगाइ वा ' मडामा गाने सावो थयो, 'नयररोगाइ वा' नाम गोन। वो थवा, 'सीसवेयणाइ वा भाथाना हुमाको थवा, 'अच्छिवेयणाइ वा नेत्रमा पी. थवी, 'कण्णवेयणाइ वा' शनमा पी31 थवी, 'नहवेयणाइ वा' नया वेहना थी, 'दंतवेयणाइ वा invi पी3. थवी, 'दग्गहाइ वा' न्द्रत ५१३५ उमा माह यवो, ' खंदग्गहाइ वा' अह विशेष कमारगहाड वा ' मासs, 'जक्खग्गहाइ वा' यक्षत उपद्र१३५ अड, 'भूयग्गहाइवा' भूतयड, 'एगाहियाइ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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