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________________ ५४४ भगवतीस्त्रे न्दते, घट्टते, शुभ्यति, उदीरयति तं तं भावं परिणमति ? हन्त, मण्डितपुत्र! जीवः सदा समितम्-एजते, यावत्-तं तं भावं परिणमति, यावच्च खलु भदन्त ! स जीवः सदा समितम् यावत्-परिणमति, तावच तस्य जीवस्य, अंते अन्तक्रिया सदा समित रागादि सहित अर्थात् रागद्वेषसहित होता है, अथवा (समियं एजते) रागद्वेष सहित कांपता है। (वेयइ ) विशेषरूप से अथवा विविधरूप से कांपता है । (चलइ) एक स्थानसे दूसरे स्थान पर जाता है (फंदइ) कुछ चलता है ! अथवा दूसरे स्थान पर जाकर पुनः अपने स्थानपर वापिस आ जाता है (घट्टइ) सर्व दिशाओ में जाता है (खुब्भइ) क्षुभित प्रचलित होता हैं । (उदीरइ) प्रबलता प्रेरणा करता है । इस तरह जीव (तं तं भावं परिणमइ) क्या उन उन भावरूप परिणमता है क्या ? (हंता मंडियपुत्ता ! जीवे णं सया समियं एयइ, जाव तं तं भावं परिणमइ) हां मंडितपुत्र ! जीव सदा रागादि सहित रहता है-अथवा रागद्वेष सहित कांपता है यावत् उन २ भावरूप परिणमता है। (जावं च णं भंते ! से जीवे सया समिय जाव परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ) हे भदन्त ! जब तक वह जीव सदासमित-रागादि सहित बना रहता है अथवा रागद्वेष सहित कांपता है यावत् उन२ भावरूप परिणमता साय छ Aषयी यु४० डाय छ ? -मथवा ( समियं एजते ) रागद्वेष सहित ४ छ ? (४५न ४२ छ-24॥ शनी मर्थ जय मा २५४ : छ, (वेयइ) વિશેષરૂપે અથવા વિવિધ રીતે કરે છે? (૪) એક સ્થાનથી બીજે સ્થાને જાય છે? () ઘેડા પ્રમાણમાં ચાલે છે–અથવા એક સ્થાનેથી બીજે સ્થાને જઇને ફરી पाताने स्थाने पाछे। ५२ छ ? (घट्टइ) सर्व शासभा छ ? (खुब्भइ) क्षुमित प्रयलित थाय छ ? (उदीरइ) प्रतापूर्व प्रेरणा ४२ छ ? ॥ शत व (तं तं भावं परिणमइ) ते ते भाव३५ परिणभे छ भ। ? (हंता मंडियपुत्ता !) &i, भडितपुत्र ! (जीवे णं सया समियं एयइ, जाव तं तं भावं परिणमइ) ०१ सहा રાગાદિ સહિત રહે છે અથવા રાગદ્વેષ સહિત કંપે છે (યાવત્, તે તે ભાવરૂપ परिभे छे. मी 'यावत्' ५४थी ५२।३त सूत्रा8 अ ४२वो नये. (जावं च णं भंते ! से जीवे सयासमियं जाव परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते ! अंतकिरिया भवइ ) 3 4-! या सुधी ७१ सा समितરાગાદિથી યુક્ત હોય છે અથવા રાગદેષ સહિત કરે છે (યાવત) તે તે ભાવરૂપ श्री. भगवती सूत्र : 3
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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