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________________ ५२४ भगवतीसूत्रे पुत्रो नाम अनगारः प्रकृतिभद्रको यावत्-पर्युपासीनः एवम्-अवादीत-कति भगवन् ! क्रियाः प्रज्ञप्ताः ? मण्डितपुत्र ! पश्चक्रियाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-कायिकी, आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, पारितापनिकी, प्राणातिपात क्रिया, कायिकी खलु भदन्त ! क्रिया कतिविधा प्रज्ञप्ता ? मण्डितपुत्र ! द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-अनुपडिगया) यावत् परिषदा निकली, प्रभुने उसको धर्मोपदेश दिया, धर्मोपदेश सुनकर वह परिषद अपने२ स्थान पर वापिस गई। (तेणं कालेणं तेणं समएणं) उसकाल और उस समय में (जाव अंतेवासी मंडियपुत्ते णामं अणगारे पगइभदए जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी) यावत् अन्तेवासी मंडितपुत्र नामके अनगारने जोकि प्रकृतिभद्र थे यावत् पर्युपासना करते हुए प्रभु से इस प्रकार पूछा-(कइणं भंते । किरियाओ पण्णत्ताओ) हे भदन्त ! क्रियाएँ कितनी प्रकार की कही गई है? (मंडियपुत्ता! पंचकिरियाओ पण्णत्ताओ) हे मंडितपुत्र ! क्रियाएँ पांच प्रकारकी कही गई है । (तंजहा) वे इस प्रकार से हैं (काइया अहिगरणिया पाउसिया, परियावणिया, पाणाइवायकिरिया) कायिकी क्रिया, आधिकरणिकी क्रिया, प्रादेषिकी क्रिया, पारितापनिकी क्रिया और प्राणातिपातनिकी क्रिया। (काइया णं भंते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता) हे भदन्त । कायिकी ત્યાં મહાવીર પ્રભુ પધાર્યા. તેમને ધર્મોપદેશ સાંભળવા પરિષદ નીકળી. અને ધર્મોપદેશ समाने परिष: विमरा, त्या समस्त सूत्रपा8 अणु ४२वा. (तेणं कालेणं तेणं समएणं) ते आणे भने ते समये (जाव अंतेवासी मंडियपुत्ने णामं अणगारे पगइभदए जाव पज्जुवासमाणे एवं बयासी) भतिथुन नामना मा२ माવીર પ્રભુના એક શિષ્ય હતા. તેઓ સરળ સ્વભાવના હતા. (બીજા ગુણે આગળ મુજબ સમજવા) તેમણે વંદણ નમસ્કાર આદિ કરીને વિનયપૂર્વક આ પ્રમાણે પૂછયું– (कइणं भंते ! किरियाओ पण्णत्ताओ?) 3 महन्त ! छियामा । प्रा२नी डाय छे ? (मंडियपुत्ता ) 3 भडितपुत्र ! (पंचकिरियाओ पण्णत्ताओ) डियामाना पाय ४२ छे. (तं जहा) ते ४ा नाय प्रमाणे छे-(काइया अहिंगरणिया पाउसिया, परियावणिया, पाणाइवायकिरिया) यही डिया, माधि४२णी या, प्रादेषि लिया, पारितापनिजी [या, मने प्रातिपातनि यिा. (काइयाणं भंते! किरिया काविहा पण्णता) 3 we-a ! यिही जियाना eau ४२ छ ? શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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