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________________ भगवतीसूत्रे " नैरयिको भदन्त नैरयिकेषु उपपद्यमानः ' किं देसेणं देस उववज्जइ किं देशेन देशमुपपद्यते जीवः स्वस्यैकदेशेन एकेनावयवेन नारकस्यैकदेशमाश्रित्य उत्पद्यते, किम् ? 'देसेणं सव्वं उववज्जइ' देशेन सर्वमुपपद्यते, देशेन स्वावयवेन सर्वं सर्वमाश्रित्य सर्वात्मना नरकावयवितयेत्यर्थः, उत्पद्यते ? अथवा किम् ' सव्वेणं देसं उववज्ज' सर्वेण देशमुपपद्यते, सर्वेण सर्वात्मना देशं देशतो नारकावयवतयोत्पद्यते, अथवा किम् -' सव्वेणं सव्वं उववज्जइ ' सर्वेण सर्वमुपपद्यते, सर्वेण सर्वात्मना सर्व सर्वतो नरकावयवितया समुत्पद्यते ? अयमाशयः - नरके उत्पद्यमानो जीवः किम् स्वस्यैकदेशेन नारकस्यैकदेशतयोत्पद्यते १, अथवा स्वस्यैकदेशेन नारकस्य सर्वावयवता - उत्पद्यते २ अथवा सर्वावयवेन नारकस्यैकदेशतया समुत्पद्यते ३, अथवा स्वस्य सर्वावयवेन नारकस्य सर्वावयवितया समुत्पद्यते ४ इति चत्वारो 9 अब गौतमस्वामी प्रभु से पूछते हैं कि ( णेरइए णं भंते ! नेरइएस उबवज्जमाणे) हे भदन्त । नरकों में उपजनेवाला - अभी उत्पन्न नहीं हुआ है । आगे उत्पन्न होनेवाला है, ऐसा नारक जीव (किं देसेणं देस उववज्जइ ) क्या अपने एक देश से-एक अवयव से - नारक के एक देश को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? ( देसेणं सव्वं उववजह ? ) या एक देश से सब को आश्रित करके- पूर्ण नारकरूप अवयबीपने से उत्पन्न होता है ? अथवा ( सव्वेणं दे उववज्जइ ) अपने समस्त अवयवों से नारक के अवयवरूप से उत्पन्न होता है ? अथवा(सव्वेणं सव्वं ववज्जइ) समस्त अवयवों से नारक के समस्त अवयव - रूप से उत्पन्न होता है?। इसका यह आशय है कि नरक में उत्पद्यमान जीव क्या अपने एक देश से नारक के एकदेशरूप से उत्पन्न होता है, अथवा अपने एकदेश से नारक के सर्वावयवरूप से उत्पन्न होता है, अथवा अपने सर्वावयव से नारक के एकदेशरूप से उत्पन्न होता है, अथवा कि अपने सर्वावयव से नारक के सर्वावयवरूप से उत्पन्न होता है ?। इस तरह से चार विकल्प गौतमस्वामी के हैं - इसका उत्तर देते गौतम स्वाभी भहावीर प्रभुने पूछे छे है ( णेरइए णं भंते ! नेरइएस उवबज्जमाणे नारभां उत्पन्न थना। ना२४ व ( किं देसेणं देसं उववज्जइ શુ પાતાના એકદેશથી નારકના એકદેશ રૂપે ઉત્પન્ન થાય છે, ( દેશ એટલે अवयव अथवा अंश ) ( देसेणं सव्वं स्ववज्जइ ? ) पोतना मेड देशथी नारउना सर्व हेश ३ये उत्पन्न थाय छे ? 3 ( सव्वेणं देसं उचवज्जइ ? ) पोताना सभस्त अवयवोथी नारउना मे अवयव ३ये उत्पन्न थाय छे ? ङे सव्वेणं सव्वं उववज्जइ १ ) } पोताना समस्त अवयवोथी नारउना समस्त अवयव३ये उत्पन्न થાય છે? અહિં ચાર વિકલા ગૌતમસ્વામીએ પૂછ્યા. શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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