________________
प्रमेयचन्द्रिकाटोका श.१३.५ सू०७ पृथ्वीकायिकादोनां स्थितिस्थानादिवर्णनम् ८२७ प्तानि, 'तं जहा' तद्यथा 'जहनिया ठिई' जघन्यिका स्थितिः पृथिवीकायिकानां जघन्या स्थितिरन्तर्मुहूर्तप्रमाणा 'जाव' यावत्-यावच्छब्देन- " समयाहिया जहणिया ठिई, दुसमयाहि या जहणिया ठिई, जाव ति-चउ-पंच-छ-सत्त-अट्ठ-नव-दस समयाहिया जहन्निया ठिई, असंखेज्ज समयाहिया जहनिया ठिई' इति संग्राह्यम् । 'तप्पाउग्गुक्कोसियाठिई तत्मायोग्योत्कर्षिका स्थितिर्भवतीति। 'असंखेज्जेसु णं भंते' असंख्येयेषु खलु भदन्त ! 'पुढवीकाइयावाससयसहस्सेसु' पृथिवीकायिकावाप्तशतसहस्रेषु 'एगमेगंसि' एकैकस्मिन् प्रत्येकस्मिन् 'पुढवीकाइयावासंसि' पृथिवीकायिकावासे 'जहणियाए ठिईए वट्टमाणा पुढवीकाइया' जघन्यायां स्थित्यां स्थितिस्थान असंख्यात कहे गये हैं । (त जहा) वे इस प्रकार से (जहनिया ठिई जाव तप्पा उग्गुकोसिया ठिई) एक जघन्यस्थिति यावत्तत्प्रायोग्य उत्कृष्टस्थिति । पृथिवीकायिक जीवों की जघन्यस्थिति अन्तमुंहत की है। यहां यावत् शब्द से “समयाहिया जहणिया ठिई, दुसमयाहिया जहणिया ठिई, जाव ति, चउ, पंच, छ, सत्त, अट्ठ, नव, दस संखेज समयाहिया जहनियाठिई, असंखेज समयाहिया जहन्निया ठिई" इस पाठ का संग्रह किया गया है । इसका अर्थ इस प्रकार से है-एक समय अधिक जघन्यस्थिति , दो समय अधिक जघन्यस्थिति, यावत् तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ, दश और संख्यात समयाधिक जघन्यस्थिति, असंख्यात समयाधिक जघन्यस्थिति । (असंखेज्जेसु णं भंते ! पुढवीकाइयावाससयसहस्सेसु) हे भदन्त ! असंख्यात पृथिवीकायिकावासशतसहस्त्रों में से (एगमेगंसि पुढविकाइयावासंसि) एक एक पृथिवीकायिकावास में (जहगियाए ठिईए वद्दमाणा पुढवी
मसच्यात स्थितिस्थान i छ. “ तंजहा" ते २मा प्रमाणे छ- " जहनिया ठिई जाव तप्पाउपगुकोसिया ठिई" से समय धन्यस्थितिथी ने तत्प्रायोग्य ઉત્કૃષ્ટસ્થિતિ સુધી પૃથ્વીકાયિક જીવની જઘન્ય સ્થિતિ અન્તર્મુહૂર્તની હોય છે. मडी “ यावत् ” ५६१ "समयाहिया जहणिया ठिई, दुसमयाहिया जहणिया ठिई, जाव ति, चउ,-पंच, छ,-सत्त,-अट्ट,-नव, दस,-संज्जसमयाहिया जहणिया ठिई, असंखेज्जसमयाहिया जहणिया ठिई” 24॥ ५४ने। सड श्यों छे. ते અર્થ આ પ્રમાણે છે-એક સમય અધિક જધન્યસ્થિતિ, બે સમય અધિક જઘन्यस्थिति, त्र, या२, पाय, छ, सात, मा3, नव, ४स, मने सध्यात समयाधिर જઘન્ય સ્થિતિ, અને અસંખ્યાતસમયાધિક જઘન્ય સ્થિતિ સુધીના અસંખ્યાત स्थितिस्थान सभा . “ असंखेज्जेसु णं भंते ! पुढवोकाइयावाससयसहस्सेसु एग. मेगंसि पुढवोकाइयावासंसि जण्णियाए ठिईए वकमाणा पुढवीकाइया " 3 न्य!
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧