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भगव सूत्रे परकमेइ वा' तत् किम् उत्थानेन यावत् पुरुषकारपराक्रम इति वा । यावच्छब्देनउदीरणा-सूत्रोक्तः प्रश्नरूप उत्तररूपश्च सर्वोऽपि पाठः संग्राह्यः ।
उदीर्णस्य वेदनं भवतीति वेदनसूत्रमाह--'से नृणं भंते' इत्यादि । 'से नूणंभंते' तद् नूनं भदन्त ! जीवः किम् 'अप्पणा चेव वेदेइ' आत्मनैव वेदयति, 'अप्पणाचेव गरहई' आत्मनैव गर्हते-निन्दतीति प्रश्नः। 'एत्थ वि सच्चेव परिवाडी' इति, अत्रापि सा एवं पूर्वोक्तैव 'परिपाटी सूत्रपद्धतिविज्ञेया । अत्रापि उदीरणासूत्रालापकवत्सर्वे आलापका वाच्या इति भावः। नवरं नवरं केवलं विशेषस्त्वयम् 'उदिन्नं वेएई' उदीर्ण वेदयति, अत्र प्रथमो विकल्पः स्वीकृतः, अन्ये त्रयो विकल्पा वर्जिताः । उदीर्णमेव वेदयति अनुदीर्णस्य कर्मणो वेदनाभावात् , अथ कदाचित् या यावत् पुरुषकारपराक्रम है ? यहां यावत् शब्द से उदीरणा सूत्रोक्त प्रश्नरूप और उत्तररूप समस्त पाठ संगृहीत हुआ है। ___उदीर्ण का वेदन होता है-इसलिये सूत्रकार वेदनमूत्र का कथन करते हैं-" से नूणं भंते !” इत्यादि । हे भदन्त ! जीव क्या "अप्पणा चेव" स्वयं ही कर्म का वेदन करता है ? स्वयं ही कर्म की निंदा करता है ? तब प्रभुने इसका उत्तर दिया कि “ एस्थ वि सच्चेव परिवाडी" यहां पर भी वही पूर्वक्ति ही परिपाटी-सूत्रपद्धति-जाननी चाहिये। अर्थात् यहां पर भी उदीरणासूत्र के आलापक की तरह समस्त आलापक कह लेना चाहिये। "नवरं" पर जो विशेषता है, वह इस प्रकार से है-यहाँ पर प्रथम विकल्प स्वीकार किया गया है-अन्य तीन विकल्प स्वीकार नहीं किये गये हैं। उदीर्ण कर्म का ही जीव वेदन करता है, अनुदीर्ण का नहीं, क्योंकि अनुदीर्ण का वेदन नहीं होता है । यदि कदाचित् यावत् पुरु५४।२५२।भथी ४२ छ १ मी“ यावत् ” ५४थी ही२५॥ सूत्रामा કહેલા સમસ્ત પ્રશ્નો અને ઉત્તરોને સંગ્રહ કરે. ઉદીર્ણ કર્મનું વદન થાય છે. તેથી સૂત્રકાર હવે વેદના સૂત્રનું કથન કરે છે–
से नूणं भंते ! त्या, 3 orय ? शुं ७१ “ अप्पणा चेव" on १ કર્મનું વેદન કરે છે? શું જીવ જાતે જ કર્મની નિંદા કરે છે? ત્યારે પ્રભુએ ते प्रश्नोनी म। प्रभारी वा माये-“एत्थ वि सच्चेव परिवाडी” डी. पy પૂર્વોક્ત પરિપાટી–સૂત્રપદ્ધતિ જ ગ્રહણ કરવી, એટલે કે ઉદીરણા સૂત્રના આલાપક प्रमाणे १ समस्त माला५४ मडी ५९ वा. “ नवर" ५५ तेमा मासी વિશેષતા છે. ઉદીર્ણ કર્મોનું જ જીવ વેદન કરે છે–અનુદીર્ણનું વેદન કરતું નથી. કારણ કે અનુદીર્ણ કર્મનું વદન થતું નથી. જે અનુદીર્ણકમનું પણ વેદન
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧