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समवायाङ्गसूत्रे थे (भवति य) भवन्ति च-हैं (भविस्संति य) भविष्यन्ति च-रहेंगे ही, (अयला) अचला-ये अचल हैं, (धुवा) ध्रुवाः-ध्रुव हैं, (गिइया) नियताःनियत हैं, (सासया) शाश्वता-शाश्वत है, (अक्खया) अक्षयाः-अक्षय हैं, (अव्वया) अव्ययाः-नाश रहित है (अवट्ठिया) अवस्थिताः-अवस्थित हैं, (णिच्चा) नित्याः-नित्य हैं (एवामेष) एवमेव-इसी तरह से (दुवालसंगेगणिपिडगे) द्वादशांगो गणिपिटकः-यह द्वादशांगरूप गणिपिटक (णक याइ ण आसि) न कदापि नासीत्-कभी नहीं थे यह बात नहीं है, (ण कयाइ ण णत्थि) न कदापि नास्ति-कभी नहीं है यह बात नहीं है, (ण कयाइ ण भविस्सइ) न कदापि न भविष्यति-कभी रहेगा यह बात नहीं है, (भुविं च) अभवत् च-था (भवइ च-भवति च-हैं (भविस्सइ च) भविष्यति च-रहेगा (अयले) अचलः (धुवे) ध्रुव; (जाव अबट्टिए) यावत् अवस्थितः (णिच्चे) नित्यः (एत्थ णं दुवालसगे-गणिपिडगे) अत्र खलु द्वादशाङ्गे गणिपिट के इस गणिपिटकरूप द्वादशांग में (अणंता भावा) अनन्ता भावाः-अनंत जीवादिकपदार्थ (अणंताऽभावा) अनन्ता अभावाःअनंत अभावरूप पदार्थ (अणता हेऊ)अनन्ताहेतवः-अनत हेतु, (अणंता अहेऊ) अनन्ता अहेतवः-अनंत अहेतु, (अणंता कारणा) अनन्तानि कार૪-પાંચે અસ્તિકાય ભૂતકાળમાં હતા, વર્તમાનમાં છે અને ભવિષ્યકાળમાં હશે જ (अयला) अचला:-ते। अयस छे (धुवा) ध्रुवा:-ध्रुव छ, (णिइया) नियता:नियत छ, (सासया) शाश्वता:-शवत छ, (अक्खया, अव्वया, अवडिया, णिचा) अक्षयाः, अव्ययाः, अवस्थिताः, नित्याः-मक्षय, नाशरहित, स स्थित मने नित्य छ (एवामेव) एवमेव-मे ४ प्रभा (दुवालसंगे गणिपिडगे) द्वादशांगो गणिपिटक:-मा शां३५ 04e3 (ण कयाइ ण आसि) न कदापि नासीत-ही न तु मेम मानी शाय तेभ नथी, (ण कयाइ णत्थि) न कदापि नास्ति-यारेय तेनु मस्तित्व नथी की वात ५७१ मान्य नथा, (ण कयाइ ण भविस्सइ)न कदापि न भविष्यति- हेरी नडी मे पात
भान्य नथी. मेट है अणे मां तेनु मस्तित्व २३४. (अचले, धुवे, जाव अवट्ठिए णिच्चे) अचल:, ध्रुवः, यावत् अवस्थितः, नित्यः-मय, ध्रुव, नियत, शाश्वत, अक्षय, भव्यय, मपस्थित मने नित्य छे. (एत्थ णं दुवालसंगे गणिपिडगे) अत्र खलु द्वादशांगे गणिपिटके-मा पि८४३५ मा२ मनमा (अणंता भावा) अनन्ता भावा-मानता हाथ, (अणंताऽभावा) अनन्ताः अभावा:-मनत समाव३५ पार्थी, (अणताहेऊ) अनन्ता हेतवःमनात हेतु, (अणंता अहेऊ) अनन्ता अहेतवः मनात महेतु. (अणंता कारणा)
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર