________________
भावबोधिनी टीका. द्वादशास्वरूपनिरूपणम्
८५३
अस्तिनास्तीप्रवादपूर्व इन चार पूर्वो की चूलिकाएँ है। (सेसाई पुव्वाइं अबूलियाइ) शेषाणि पूर्वाणि अचूलिकानि - बाकी के पूर्वो की चूलिकाएँ नहीं हैं। (से नं चूलियाओ) ता एतालिकाः -- यही चूलिका का स्वरूप है (दिवायरस परिसाचायणा) दृष्टिबादस्य खलु परीताः वाचनाः- दृष्टिवाद की संख्या वाचनाएँ हैं। (संखेज्जा अणुओगदारा) संख्येयान्यनुयोगद्वाराणि - संख्यात अनुयोगद्वार हैं। (संखेज्जाओ पडिवत्तीओ) संख्येयाः प्रतिपत्तयःसंख्यात प्रतिपत्तियां हैं। (संखेजाओ निज्जुन्तीओ) संख्येया निर्युक्तयः संख्यात नियुक्तियां है ( संखेजा सिलोगा ) संख्येयाः श्लोकाः - संख्यातश्लोक है। (संखेज्जाओ संगहणीओ) संख्येयाः संग्रहण्यः- संख्यात संग्रहणियां हैं। (सेणं अंगट्टयाए बारसमे अंगे) स खलु अङ्गार्थतया द्वादशमङ्गम् - अंगार्थ की अपेक्षा यह बारहवां अंग है। (एगे सुयक्खंधे) एकः श्रुतस्कन्धः - इसमें एकश्रुतस्कन्ध है (चउदसपुच्वाई) चतुर्दश पूर्वाणि - चौदह पूर्व हैं । ( संखेज्जावत्थू ) संख्येयानि वस्तुनि संख्यात बस्तुएँ हैं । ( संखेज्जा चूलवत्थू | संख्येयानि चूलवस्तूनि - संख्यात चूलवस्तुएँ हैं । ( संखेजा पाहुडा) संख्येयानि प्राभृतानि संख्यात प्राभृत हैं । ग्रन्थांश - विशेषों
यूनिछे (सेसाई पुब्वाई अचूलियाई) शेषाणि पूर्वाणि अचूलिकानिजाडीनां पूर्वो यूसिडा विनानां छे. ( से तं चूलियाओ ) ता एताश्चूलिका:यूसिङानु मे प्राश्नु स्व३५ छे. (दिट्टिवायरस णं परिता वायणा) दृष्टिवादस्य खलु परीताः वाचनाः- दृष्टिवाह अंगनी संध्यात वायनाओ। छे, ( संखेज्जा अणुओगदारा) संख्येयानि अनुयोगद्वाराणि-संध्यात अनुयोग द्वार छे, संखेजाओ पडिवत्तीओ) संख्येयाः प्रतिपत्तयः - सख्यात प्रतिपत्तियो छे, ( संखेजाओ निजुत्तीओ) संख्येयाः निर्युक्तयः - संख्यात नियुक्तियो छे, (संखेज्जा सिलोगा) संख्येयाः श्लोकाः - संस्यात सोडी छे, भने (संखेज्जाओ संगहणीओ) संख्येयाः संग्रहण्यः - संख्यात स अडुशियो छे. ( से णं अंगट्टयाए बारसमे अंगे) स खलु अङ्गार्थतया द्वादशमङ्गम् - गोनी अपेक्षा ते मारभु अंग छे, तेमां (एंगे सुयक्खंधे) एकश्रुतस्कन्धः - श्रुतस्ध छे, ( चउदसपुनवाई) चतुर्दशपूर्वाणि - यह पूर्व छे. (संखेजावत्थू ) संख्येयानि वस्तूनि - संख्यात वस्तुयो। छे, ( संखेज्जा चूलवत्थू) संख्येयानि चूलवस्तूनि - सांध्यात यूपस्तु छे, (संखेज्जा पाहुडा) संख्येयानि प्राभृतानि - सभ्यात आलत छे, (श्रन्थांश विशेषोने 'प्रभृत' हे छे.) (संखेज्जा पाहुडपाहुडा) संख्येयानि प्राभृत
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર