________________
৩৪০
समवायाङ्गसूत्रे
वर्णन है। तथा ( घोरपरीसहपराजियासहपारद्वरुद्धसिद्धीलयमग्गनिग्गयाण) घोरपरीषहपराजितासहप्रारब्ध रुद्ध सिद्धालय मार्गनिर्गतानाम्क्षुत्पिपासा आदि असह्य परीपह से पराजित-हारे हुए तथा असह्यसामर्थ्यहीन अत एच-प्रारब्धरुद्ध-तप संयम की आराधना में रुके हुए इसलिये सिद्धालयमार्गनिर्गता-सम्यग्ज्ञान, और सम्यक चारित्ररूप मोक्ष मार्ग से निर्गता-मार्ग से निकले हुए का इस में वर्णन है । तथा (विसयसुहतुच्चआसावसदोसमुच्छियाणं ) विषयसुखतुच्छाशावशदोष मूञ्छितानाम्-विषयसुख की तुच्छ आशावश से उत्पन्न हुए दोषों से मूच्छित-अर्थात्-मू युक्त उनका इसमें व्याख्यान है । (विराहियचरित्त नाणदंसणजइगुणविविहप्पयारनिस्सारसुन्नयाण ) विराधितचारित्रज्ञान दर्शनयतिगुण-विविध प्रकारनिःसारशून्य कानाम्-चारित्र, ज्ञान,और दर्शन इनकी विराधना करने से और (जइगुण विविहप्पयार) यतिगुणविविधप्रकार-विविधप्रकार के यति के मूल गुण और उत्तरगुणों को विराधना से (निस्सार सुन्नयाणं) निःसार शून्यकानाम्-सार रहित होने से शून्य बने हुए उनका इसमें वर्णन है । तथा-(संसारअपारदुक्खदुग्गई भवविविह परंपरापवंचा ) संसारपारदुःखदुर्गति भवविविधपरम्पराप्रपञ्चा ( घोरपरीसहपराजियासहपारद्धरुद्धसिद्धालयमग्गनिग्गयाणं ) घोर परीषहपराजितासह प्रारब्धरुद्धसिद्धालयमार्गनिर्गतानाम्--क्षुधा पिपासा मा असह्य परीपाडाथी ५२irत थवाथी तथा (असह) सामथ्र्य डीन थाने २ તપ સંયમની આરાધના કરતા અટકી ગયેલા, અને તેને કારણે સમ્યગ્રદર્શન, સમ્યજ્ઞાન, અને સમ્યફ ચારિતરૂપ મોક્ષમાર્ગથી વિમુખ થયેલા સાધુઓનું વર્ણન 241 24°मा ४२यु छ. तथा ( विसय-सुहतुच्छआसावसदोसमुच्छियाणं ) विषयसुखतुच्छाशावशदोपछितानाम् --विषयसुमना तु२७ माशाने तामे થવાથી ઉત્પન્ન થયેલા દેથી મૂચ્છિત થયેલાઓનું વર્ણન આ અંગમાં કરાયું છે. विराहियचरितनाणदंसहजड्गुणविविहप्पयार-निस्सार-सुन्नवाणं ) विराधित चारित्र-ज्ञान-दर्शन-यतिगुण-विविध--प्रकारनिःसार शून्यकानाम्शान शन मने यात्रिनी पिधना ४२१ाथी मने ( जइगुणविविहप्पयार ) यतिना विविध ४२॥ भूखणे। भने उत्तरशुऐ।नी विराधना ४२वाथी (निस्सार सुन्नयाणं) नि:सार शून्यकानाम्-नि:सार थवाने सीधे शून्य मानेला मानु वान भाममा थुछ. तथा (संसार-अपार-दुक्ख-दुग्गई-भव-विविह-परंपरापवंचा ) संसारपारदुःखदुर्गतिभवविविधपरम्परामपञ्चा--ससा२मा मनत
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર