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________________ श्रीमान सेठश्री बरडियाजी सा. का संक्षिप्त परिचय राजस्थान (भारतवर्ष) के एक सुन्दर शहर अलवर में ओसवाल समाज के बरडिया खानदान में लालाजी सा. जवाहरलालजी हजारीलालजी सा.का जन्म हुआ ये दोनों सगे भाई थे और धर्म के बडे प्रेमी थे, बडे भाई जवाहरलालजी के ३ तीन पुत्र हैं, तथा छोटे भाई हजारीलालजी के ३ तीन पुत्रियां है । ज्येष्ठ भाई के पुत्रों के नाम श्री मूलचंदजी, मिश्रीलालजी, पूनमचंदजी है, इन तीनों भाइयों का जन्म अलवर में ही हुवा आपके पिताजी तथा चाचाजी अलवर में तपस्वी श्री सुन्दरलालजी के मकान में रहते थे इनके साथ सामाजिक तथा आंतरिक बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध था तथा दूर में रिस्तेदार भी लगते थे, करीब ३०-३५ वर्ष साथ में रहे, तपस्वीजी का प्रेम प्रशंशनीय था। श्री मूलचंदजी, मिश्रीलालजी, पूनमचंदजी के दादाजी श्री प्रेमसुखजी पहिले जयपुर रियासत में बरखेडा नाम के गांव में रहते थे तथा वहां लेनदेन का कामकाज करते थे, वहां पर आपकी जमीन जायदाद पक्की हवेली, पके कुए, दुकाने वगेरेह थी, तथा आपकी १ हवेली जयपुर में भी थी, आप तीन भाई थे बडे भाई छगुलालजी, गोपालजी प्रेमसुखजी, दोनों बडे भाईयो के कोई संतान नहीं हुई आप फिर अलवर में आकर बस गये, तथा तब से तमाम कुटुम्ब वहीं पर ही रहने लगे। आप का स्वर्गवास हुवे काफी समय हुवा। श्री मूलचन्दजी बरडिया वचपन से ही बाहर रहने लगे तथा बीकानेर के प्रसिद्ध मोहता खानदान के साथ आपका करीब ३० वर्ष तक बडा धनिष्ट संबंध रहा, आप इनके यहां बहुत से कामो में मेनेजर रहे आखर में आप यहां उनके कपडे के मील में जनरल मेनेजर थे, आप सन् १९४९ में उनसे अलग हो कर बडे उत्साह से यहां अहमदाबाद में ही अपना खुद का कामकाज बरडिया ब्रदर्स के नाम से शुरू कर दिया और यहां पर ही आप तीनों भाई सहकुटुम्ब रहने लगे, आप तीनो भाई एक साथ ही रहते है तथा कामकाज भी आप तीनों भाईयोंका साथ में ही है आप का निवासस्थान अहमदावाद में मशहूर कांकरिया तलाव के सुन्दर रमणीय बगीचे के नजदीक , रामबाग-(मणीनगर) में है जो શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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