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________________ भावबोधिनी टीका. भाविद्वादशचक्रवर्तिनामनिरूपणम् ११४५ के नौ पिता होंगे। (नव वासुदेव मायरो भविस्संति, नव बलदेव मायरो भविस्संति) नव वासुदेव मातरो भविष्यन्ति, नव बलदेव मातरो भविष्यन्ति-नव वासुदेवों की नौ माताए होंगी और नव वलदेवोंकी नो माता एँ होंगी। (नव दसार मंडला भविस्संति) नव दशाह मण्डलानि भविष्यन्ति नौ दशाह मंडल होंगे। (तं जहा) तद्यथा-(उत्तमपुरिसा, मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा जाव दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति) उत्तमपुरूपाः मध्यमपुरुषाः प्रधानपुरुषाः याबद् द्वौ द्वो रामकेशवी भ्रातरौ भविष्यन्ति इन पदों का अर्थ २१३ सूत्र की व्याख्या में लिख दिया है । सो उसे यहां पर भविष्तकाल परक लगा लेना चाहिये (णव पडिसत्तू भविस्संति) नव प्रतिशत्रवो भविष्यन्ति-नो प्रतिबासुदेव होंगे । (नव पुत्वभवणामघेजा) नव पूर्वभव नामधेयानि-नौ इनके पूर्वभव संबंधी नाम (नव धम्मा यरिया) नव धर्माचार्याः-नौ इनके धर्माचार्य, (नव नियाणभूमीओ) नव नव निदान भूमयः-नौ इनकी निदानभूमियां (नव नियाणकारणा) नव निदान कारणानि च-नौ निदान कारण, (आयाए एरवए) आदाय ऐरवतम्-ऐरक्त क्षेत्र के बीच में (आगमिस्साए) आगमिष्यन्त्यामू-आने वाले उत्सर्पिणीकाल में होंगे ऐसा (भाणियव्वा) भणितव्यानि-कथन कर लेना भविस्संति, नव बलदेवमायरो भविस्संति) नव वासुदेव मातरो भविष्यन्ति, नवबलदेवमातरो भविष्यन्ति-नय वासुदेवानी न१ भाता। थशे भने नय महेवोनी नभाता . (नवदसारमंडला भविस्संति) नवदशाहमण्डलानि भविष्यन्ति-नष शाम'a थशे.(तं जहा) तद्यथा-(उत्तमपुरिसा, मज्झिमपुरिसा, पहाणपुरिसा, जाव दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति ) उत्तमपुरुषाः मध्यमपुरुषाःप्रधानपुरुषाः यावद् द्वौ द्वौ राम के शवो भ्रातरौ भविष्यन्ति-मा पहाना म २१3मा सूत्रमा मापी हीधा छे. मी त्या तभने भविष्यजनी अपेक्षाये सभनये. (णव पडिसत्तू भविस्संति) नव प्रतिशत्रवो भविष्यन्ति-ते वासुदेवाना प्रतिशत्रु न१ प्रतिवासुदेव। थशे. (नव युवभवणामधेजा) नव पूर्वभवनामधेयानि-तमना भूलना नव नाम श. (नव धम्मायरिया) नव धर्माचार्याः-तमना न धर्मायायी थशे., (नव नियाणभूमीओ) नव निदानभूमयः-तेमनी नव महानभूमियो शे. (नव नियाण कारणा) नवनिदान कारणानि-नियाना न ४२0 श. (आयाए एरवए) आदाय ऐरवतम्-तेमा भैरवतक्षेत्रमा (आगमिस्साए-आगमिष्य. त्याम-भाभी safelmwi थरी येम (भाणियव्वा) भणितव्यानि-- ૧૪૪ શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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