________________
भावबोधिनी टीका. संस्थानसंहननवेदादिस्वरूपनिरूपणम्
१०४७ (कइविहेणं भंते! वेए पण्णत्ते) कतिविधः खलु भदन्त! वेदः प्रज्ञप्तः?-हे भदन्त! वेद कितने प्रकार का होता है? (गोयमा! तिविहे वेए पण्णत्ते) गौतम त्रिविधो वेदः प्रज्ञप्त:-हे गौतम! वेद तीन प्रकार का होता है-(तं जहा) तद्यथा-वे प्रकार ये हैं (इत्थीवेए,पुरिसवेए नपुंसगवेए) स्त्रीवेदः पुरुषवेदः नपुंसक वेदः-स्त्रीवेद, पुरुपवेद और नपुंसकवेद। (णेरइयाणं भंते! किं इत्थीवेया, पुरिसवेया णपुंसगवेया पण्णत्ता)हे भदंत ! नैरयिका किं स्त्रीवेदाः पुरुषवेदाः नपुंसकवेदाः प्रज्ञप्ता-हे भदंत! नारकजीव क्या स्त्रीवेद, पुरुषवेद
और नपुंसकवेद वाले कहे गये है ? (गोयमा ! णो इत्थीवेया, णो पुरिस वेया णपुंसगवेया पण्णत्ता) गौतम ! नो स्त्रीवेदाः नो पुवेदाः नपुंसक वेदाः प्रज्ञप्ता:-हे गौतम ! नारक जीव न स्त्री वेदवाले कहे गये हैं, न पुरुष वेद वाले कहे गये हैं, किन्तु नपुंसक वेद वाले कहे गये हैं। (असू रकुमाराणं भंते! कि इत्थीवेया णपुंसगवेया?) असुरकुमाराः खलु भदन्त! किं स्त्रीवेदाः पुरुपवेदाः नपुंसकवेदाः?-हे भदंत ! असुरकुमारदेव क्या स्त्रीवेद, पुरुपवेद और नपुंसकवेद वाले होते हैं ? (गोयमा! इत्थीवेया पुरिस. वेया णो णपुंसगवेया) हे गौतम ! असुरकुमाराः स्त्रीवेदाः पुरुषवेदाः नो नपुंसकवेदाः-असुरकुमारदेव स्त्री वेद और पुरुषवेद वाले ही होते हैं नपुंसकबेदवाले नहीं होते हैं। (जाव थगिय कुमारा)यावत्रतनितकुमारा:-इसी तरह
A -(कइ विहेण भते ! वेए पणते') कतिविधः खलु भदन्त ! वेदः पज्ञप्तः ?-3 मत ! पे 21 51२ना डाय छ ? (गोयमा ! तिविहे वेए पण्णत्ते) गौतम! त्रिविधो वेदः प्रज्ञप्तः- गौतम ! ६ र ५२ना छ. (तंजहा) तद्यथा - Ut२१ मा प्रभार छ-(इत्थीवेए, पुरिसवेए, नपुंसगवेए) स्त्रीव, पुरुषवेद अने नधुसवे६. णेरइयाणं भंते ! किं इत्थीवेया, णपुंसगवेया पणत्ता ?) किं स्त्रीवेदाः, पुरुषवेदाः नपुंसकवेदाः प्रज्ञप्ताः-ना२४७वे। श्रीपेह,पुरुषवेया॥छ ?(गोयमा! णो इत्थीवेया,णो पुरिसवेया णपुंसगवेया पण्णत्ता) गौतम ! नो स्त्रीवेदाः, नो पुवेदाः नपुंसकवेदाः प्रज्ञप्ताः-हे गौतम ! ना२७ये स्त्रीपेहवा नथी, पुरुषवे ा प नयी नस४३६वा 53ai छ. (असुरकुमाराणंभंते ! किं इत्थीवेया,पुरिसवेया, णपुंसगवेया?) असुरकुमाराः खलु भदन्त ! किं स्त्रीवेदाः, पुरुषवेदाः नपुंसकवेदाः ? हे मत ! -4सु२भा२ हेवसाहाणा डाय , y३५वेहवालय छनघुसवाय डाय छे ? (गोयमा! इत्थीवेया. पुरिसवेया, णो णपुंसगवेया) हे गौतम ! असुरकुमाराः स्त्रीवेदाः पुरुषवेदाः नो नपुसकवेदाः- गातम ! मसुरभार व स्त्रीवामने ५३५वे वाणा हाय छ नसवाणा आता नथी. (जाव थणियकुमारा) यावत् स्तनितकुमारा:
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર