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________________ सुघा टीका स्था ७ खू० ४३ चमरेन्द्र दीनामनीक-तदधिपतिदेवनिरूपणम् ७०१ तत्र-दक्षः पादातानी हाधिपतिः, सुग्रीवः पीठानीकाधिपतिः, सुविक्रमः कुञ्जरा नीकाधिपतिः, श्वेतकण्ठो महिषानीकाधिपतिः, नन्दोत्तरो स्थानीकाधिपतिः, रतिनाटयानीकाधिपतिः, मानसो गन्धर्वानीकाधिपतिरिति । एवं धरणभूतानन्दवद् यावद् घोषमहाघोषयोरपि सप्तानीकानि सप्तानीकाधिपतयश्च बोध्याः । अयं भावः-पथा धरणस्य तथा वेणुदेवहरिकान्ताग्निशिवपूर्णजलकान्तामितगतिवेलम्बघोषनामकानामष्टानां दाक्षिणात्यभवन पतीन्द्राणां, यथा भूतानन्दस्य तथा वेणुशालि हरिसहाग्निमाणववशिष्ठ नलपमामितवाहनप्रभञ्जनमहाघोषनामकानामष्टानाम् औदीच्यभयनपतीन्द्राणां च सप्तानीकाधिपतयश्च बोध्या इति । अनीक और सात अनीकाधिपति हैं-इनमें ७ अनीकों के नाम तो पूर्वोक्त जैसे ही हैं-परन्तु अनीकाधिपतियों के नाम इस प्रकार से हैं पादातानीक के अधिपति का नाम दक्ष है, पीठानीक के अधिपति का नाम सुग्रीव है, कुञ्जरानीक के अधिपति का नाम सुविक्रम है, महिषानीक के अधिपति का नाम श्वेतकण्ठ है, रथानीक के अधिपति का नाम नन्दोत्तर है, नाटयानीक के अधिपति का नाम रति है, एवं गन्धर्वानीक के अधिपति का नाम मानस है । धरण और भूतानन्दकी तरह यावत् घोष और महाघोष इन्द्र के भी सात २ अनीक और सात २ अनीकाधिपति समझना चाहिये, तात्पर्य ऐसा है-धरण की तरह वेणुदेव के हरिकान्त के अग्निशिख के, पूर्ण जल कान्त के अमितगति के वेलम्ब के, और घोष के इन आठ दाक्षिणात्य भवनपतिइन्द्रों के, तथा-भूतानन्द की तरह वेणुदालि के, हरिसह के, अग्निमा. પણ સાત રસેનાએ અને સાત સેનાધિપતિ છે. તેની સેનાઓનાં નામ ચમરની સેનાઓનાં નામ પ્રમાણે જ સમજવા, પણ સેનાધિપતિઓનાં નામ નીચે પ્રમાણે સમજવા પદાતાનીકને અધિપતિ દક્ષ, પઠાનકને અધિપતિ સુગ્રીવ, કુંજરાનીકને અધિપતિ સુવિકમ, રથાનકને અધિપતિ નોત્તર. મહિષાનીકને અધિપતિ ધતકંઠ, નાટ્યાનીકને અધિપતિ રતિ અને ગર્વનીકને અધિપતિ मानस छ. ધરણ અને ભૂતાનન્દના જેવી જ ઘેષ અને મહાઘેષ પર્વતના ઈન્દ્રોની સાત સેનાઓ સમજવી અને તે સેનાઓના સાત સેનાની (સેનાધિપતિ) સમજવા. આ કથનનું તાત્પર્ય એ છે કે-વેણુદેવ, હરિકાન્ત, અગ્નિશિખ, પૂર્ણ જલકાન્ત, અમિત ગતિ, વેલમ્બ અને શેષ, આ આઠ દક્ષિણત્ય ભવનપતિ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૪
SR No.006312
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages775
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size42 MB
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