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५० प्रतिक्रमणके स्वरूपका निरूपण
२७५-२७७ ५१ पांच प्रकारके वाचनास्थानका निरूपण
२७९-२८१ नारकादिकोंके यथायस्थित भावोंका निरूपण
२८२ जम्बूद्वीप आदिके यथाबस्थित भावोंका निरूपण २८३-२८५ ५४ भरतक्षेत्रमें स्थित तीर्थंकरोंका निरूपण ५५ क्षेत्रभूत चमरचञ्चादिका निरूपण
२८७-२९० छठा स्थान प्रारंभ५६ छठे स्थानका विषय विवरण
२९१ ५७ गणधरोंके गुणका निरूपण
२९२-२९६ ५८ जिनाज्ञाका अविराधकपनेका निरूपण
२९७-३०० छद्मस्थों के स्वरूपका निरूपण
३०१-३०४ जीयको अजीप करनेका छह प्रकारताका निरूपण ३०५-३०६ ६१ संसारिकजीवका निरूपण
३०७-३११ जीवोंके दुर्लभ पर्याय विशेषका निरूपण
३१३-३१८ इन्द्रियार्थों के छ प्रकारका निरूपण
३१९-३२० साता और असाताके षड्विधताका निरूपण ३२१-३२२ छह प्रकारके प्रायश्चितोंका निरूपण
३२३-३२४ छह प्रकारके मनुष्य आदिकोका निरूपण
३२५ छह प्रकारके ऋद्धिबालोंका निरूपण
३२६उत्सर्पिणी कालमें जम्बूद्वीपके मनुष्यके प्रमाणका निरूपण ३२७-३२९ छह प्रकारके संहननका निरूपण
३३०-३३२ छह प्रकारके संस्थानका निरूपण
३३३-३३५ ७१ अनात्मावाले नीयोंको अहित करनेवाले छह स्थानोंका
निरूपण ३३६ ७२ छ प्रकारके आर्य मनुष्योका निरूपण
३३९-३४१ ७३ लोकस्थितिका निरूपण
३४२-३४३ जीवोंकी गति और दिशाओंका निरूपण
३४४-३४८ संयत मनुष्योंके आहारग्रहणऔर आहारका ग्रहण नहीं करनेका निरूपण
३४९-३५२ ७६ उन्मादस्थानका निरूपण
३५३-३५५ ७७ छह प्रकारके प्रमादका निरूपण
३५६-३६१
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श्री. स्थानांग सूत्र :०४