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स्थानाङ्गसूत्रे
टीका--' चमरस्स गं' इत्यादि
व्याख्या सुगमा, नवरम्-चमरो दक्षिणनिकायेन्द्रो, बलिस्तु उत्तरनिका. येन्द्रः ॥ मु० १६ ।। सम्प्रति चमरेन्द्रादीनां सांग्रामिकान अनीकान् अनीकाधिपती श्च निरूपयति
मूलम् -चमरस्स णं असुरिंदस्त असुरकुमाररण्णो पंच संगामिया अणिया, पंच संगामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहापायत्ताणिए १, पीढाणिए २, कुंजराणिए ३, महिसाणिए ४, रहाणिए । दुमे पायत्ताणियाहिबई सोदामी आसराया पीढाणियाहिवई, कुन्थू हस्थिराया कुंजराणियाहिवई, लोहियक्खे महिसाणियाहिवई, किन्नरे रहाणियाहिबई । बलिस्त णं वइरोयजिंदस्स वइरोयणरण्णो पंच संगामिया अणिया पंच संगामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा-पायत्ताणिए जाव रहाणिए । महमे पायत्ताणियाहिबई, महासोयामो आसराया पीढाणियाहिवई, मालंकारो हत्थिराया कुंजराणियाहिबई, महालोहियक्खो महिसाणियाहिबई, किंपुरिसे रहाणियाहिबई। धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमारण्णो पंच संगामिया अणिया पंच संगामियाणियाहिबई पण्णता, तं जहा-पायत्ताणिए जाव रहाणिए । भदसेणे पायत्ताणियाहिवई, असोधरे आसराया पोढाणियाहिवई, सुदंसणे हत्थिराया कुंजराणियाहिवई, नीलकंठे महिसा. णियाहिवई, आणंदे रहाणियाहिबई । भूयाणंदस्स नागकुमाबलि है, इसकी भी पांच अग्रमाहिषियां कही गई हैं। जैसे-शुम्भा १ निशुम्भा २ रम्भा ३ निरम्भा ४ और मदना ५॥ सू०१६॥ નામને ઈદ્ર છે તેની પાંચ અગમહિષીઓનાં નામ નીચે પ્રમાણે છે – (१) शुभ्ला, (२) निशुक्ला, (3) २ मा, (४) नि२ मा भने (५) भहना. सू. १६
श्री स्थानांगसूत्र :03