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________________ १३४ स्थानाङ्गसूत्रे चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-दुग्गए णाममेगे दुग्गइगामी १, दुग्गए णाममेगे सुगइगामी० ४, (५) __चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-दुग्गए णाममगे दुग्गई गए १, दुग्गए णाममेगे सुगई गए २, (६) चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, तं जहा--तमे णाममेगे तमे १, तमे णाममेगे जोई २, जोई णाममेगे तमे ३, जोई णाममेगे जोई ४। (७) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--तमे णाममेगे तमबले १, तमे णाममेगे जोइबले २, जोई णाममेगे तमबले ३, जोई णाममेगे जोइबले ४ (८) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--तमे णाममेगे तमबलपलज्जणे १, तमे णाममेगे जोइबलपलज्जणे० ४। (९) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--परिण्णायकम्मे णाममेगे णो परिण्णायसन्ने १, परिणायसन्ने नाममेगे नो परिण्णायकम्मे, २, एगे परिणायकम्मेऽवि परिण्णायसन्नेऽवि ३॥ एगे नो परिणायकम्मे नो परिण्णायसन्ने ४। (१०) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-परिण्णायकम्मे णाममेगे णो परिणायगिहावासे, परिण्णायगिहावासे णाममेगे णो परिण्णायकम्मे० ४। (११) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--परिन्नायसन्ने नाममेगे नो परिन्नायगिहावासे, परिन्नायगिहावासे णाममेगे नो परिन्नायसन्ने० ४॥ (१२) श्री. स्थानांग सूत्र :03
SR No.006311
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size37 MB
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