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________________ सुधा टीका स्था०४ उ०१ सू० ३४ देवत्वनिरूपणम् चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-रूववई १, बहुरूवा २, सुरूवा३, सुभगा। एवं पडिरूवस्सवि। पुण्णभहस्सणंजक्खिदस्स जक्खरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ,पण्णत्ताओतं जहा-पुत्ता १, बहुपुत्तिया २, उत्तमा ३, तारगा ४। एवं माणिभहस्सवि । भीमस्स रक्खसिंदस्स रक्खसरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पउमा १, वसुमई २, कणगा ३, रयणप्पभा ॥ एवं महाभीमस्सवि । किंनरस्स णं किनारदस्स किन्नररन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा--वडेंसा १, केउमई २, रइसेणा ३, रइप्पभा । एवं किंपुरिसस्सवि । सप्पुरिसस्स णं किंपुरिसिंदस्त किंपुरिसरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-रोहिणी १, णवमिया २, हिरी ३, पुष्फबई ४॥ एवं महापुरिसस्सवि। अइकायस्स णं महोरगिंदस्स महोरगरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा भुयगा १, भुयगवई २, महाकच्छा ३, फुडा ४। एवं महाकायस्सवि, गीयरइस्स णं गंधविंदस्स गंधवरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णताओ, तं जहा-सुघोसा १, विमला २, सुस्सरा ३, सरस्सई ४। एवं गीयजसस्सवि । चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइ. सरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-चंदप्पभा १, दोसिणाभा २, अच्चिमाली ३, पभंकरा ४॥ एवं सूरस्सवि, णवरं सुरप्पभा १, दोसिणाभा २, अच्चिमाली ३, पभंकरा ४॥ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૨
SR No.006310
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages819
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size47 MB
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