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________________ सुघा टीका स्था० ३ उ०२ सू०३७ पुरुषप्रकारनिरूपणम् प्रकारचायम्-" अगागतानाममेगे सुमणे भवइ, ? अणागंतानाममेगे दुम्मणे भवइ, अणागंतानामेगे नोसुमणे नोदुम्मणे भवइ ? एवं न आगच्छामीति २, एवं, न आगमिष्यामीति ३ कालत्रयविषयाणि त्रीणि सूत्राणि, पूर्वोक्तदशभिः रूप, गंध, रस, और स्पर्श" ये पदकुल २१ हैं। इन २१ पदों के ही १२७ सूत्र होते हैं । जिनका विवरण इस प्रकार से है । गत्वा के तीन और अगत्वा के तीन, आगंता के तीन अणागंता के तीन इत्यादि रूपसे १-१ पद के ६-६ आलापक होते हैं। "आगंता" तकके तो तीन ३ आलापक भूत, वर्तमान और भविष्यत् काल को लेकर सुमना, दुर्मना और मध्यस्थ होने के विषयमें सूत्रकारने प्रकट ही कर दिये हैं। अब "अणोगता" जो पद है, उसका आलापकका प्रकार इस प्रकार से है'अणागंता' नामेगे सुमणे भरइ १, अणागंतानामेगे दुम्मणे भवइ, अणागंतानामेगे नोसुमणे गोदुम्मणे भवइ” इसी तरहसे "न आगच्छामि " क्रियापद को लगोकर ऐसा ही कहना चाहिए-कि कोई जीव " मैं नहीं आता हूं" ऐसा ख्याल कर सुमना होता है, कोई दुर्मना होता है और कोई जीय मध्यस्थ होता है । इसी तरह से “न आगमिष्यामि” ऐसा क्रियापद लगाकर भी इसी प्रकार से कहना चाहिये कि कोई जीय " मैं नहीं आऊँगा" ऐसा ख्याल कर सुमना स्पर्श " म स २१ ५४ छ. ते २१ पहोने मनुसक्षीस १२७ सूत्र थाय છે. જેમનું વિવરણ નીચે પ્રમાણે છે– ગવાના ત્રણ અને અગત્યાના ત્રણ, આગંતાના ત્રણ અને અણગંતાના ऋण त्या ३ मे मे ५ -६ मामा५४ थाय छे. “ आगंता" પર્યન્તના ત્રણ આલાપક ભૂત, વર્તમાન અને ભવિષ્યકાળમાં સુમના (હર્ષિત), દુર્મના (દુઃખિત) અને મધ્યસ્થ ભાવયુક્ત હવા વિષે, સૂત્રકારે આગળ પ્રકટ शधा छ. ये “ अणागंता" पहना २ माता५। मन छ ते नाये अट ४२५मा माव्या छ-" अणागता नामेगे सुमणे भवइ१, अणागंता नामेगे दुम्मणे भवइ२, अणागंता नामेगे नोसुमणे णोदुम्मणे भव" मे ४ प्रमाणे "न आगच्छामि" मा ५४ मा प्रमाणे युनय-" ई माया નથી,” આ પ્રકારના વિચારથી કેઈક જીવ સુમન (હર્ષિત) થાય છે, કેઈક જીવ દુર્મના (દુઃખિત) થાય છે અને કેઈક જીવ મધ્યસ્થ ભાવમાં જ રહે छ. “न आगमिष्यामि " 241 या५६ यापरीने २मा प्रमाणे माता मनाવવા જોઈએ-“હું નહીં આવું” એ ખ્યાલ કરીને કેઈક જીવ સુમના થાય શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર: ૦૨
SR No.006310
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages819
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size47 MB
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