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सुघा टीका स्था०४३०१ सू० ६ घुणदृष्टान्तेन मिक्षुकनिरूपणम् ४१३ पुरुषाधिकार एव घुणदृष्टान्त दार्टान्तिक सूत्रमाह -
मूलम्-चत्तारि घुणा पण्णत्ता, तं जहा-तयक्खाए १, छल्लिक्खाए २, कट्ठक्खाए ३, सारक्खाए ४। एवामेव चत्तारि भिक्खागा पण्णत्ता, तं जहा तयक्खायसमाणे जाय सारक्खा. यसमाणे । तयक्खायसमाणस्त णं भिक्खागस्स सारक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते, छल्लिक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स कहक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते, कट्रक्खायसमाणस्सणं भिक्खागस्स छल्लिक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते ॥ सू० ६॥ __ छाया-चत्वारो धुणाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-त्वक्खादः १, छल्लीखादः २, काष्ठखादः ३, सारखादः ४। एवमेव चत्वारो भिक्षाकाःमज्ञप्ताः, तद्यथा-स्वखादसमानः १, यावत सारखादसमानः ४॥ त्वक्खादसमानस्य खलु भिक्षाकस्य सारखादसमानं तपः प्रज्ञप्तम्, सारखादसमानस्य खलु भिक्षाकस्य त्वक्खादसमानं तपः प्रज्ञप्तम् , छल्लीखादसमानस्य खलु भिक्षाकस्य काष्ठखादसमानं तपः प्रज्ञप्तम् , काष्ठखादसमानस्य खलु भिक्षाकस्य छल्लीखादसमानं तपः प्रज्ञप्तम् (सू०६) ___ अब सूत्रकार इस पुरुषाधिकार में ही घुण दृष्टान्त दान्तिक सूत्र कहते हैं-" चत्तारि घुणा पण्णत्ता' इत्यादि ।
सूत्रार्थ-घुण चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-स्वखाद १ छल्लीखाद २ काष्ठखाद ३ और सारखाद ४ इसी तरह से चार भिक्षाक कहे गये हैं, जैसे त्वक्खादसमान यावत् सारखाद समान ४ त्वकूखाद समानभिक्षाक का सारखादसमोन तप कहा गया है सारखाद समान भिक्षाकका त्वकखाद समान तप कहा है छल्लीखादसमान भिक्षाक का काष्ठखाद समान तप कहा गया है और काष्ठखादसमान भिक्षाक का छल्लीखाद समान तप कहा गया है
હવે સૂત્રકાર ઘુણ (કીડા) ના દષ્ટાન્ત દ્વારા ચાર પ્રકારના પુરુષોનું नि३५ ४२ छ-" चत्तारि घुणा पण्णत्ता" त्याह
भूत्रा-धुए अटले 831. धुए यार प्रा२ना हा छ-रेम (१) १५ माह, (२) ७८६ी मार, (3) १४ मा मन (४) सार माह से प्रभा यार
२ना मिAI (भिक्षु ) ४. छ-(१) (१५ मा समान, (२) ७८सी माह समान, (3) ४ मा समान मन (४) सा२ मा समान.
ત્વખાદ સમાન ભિક્ષુકનું તપ સારબાદ સમાન કહ્યું છે. સારબાદ સમાન
શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૨