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________________ ४७ प्रत्यनीक स्वरूपका निरूपण २७७-२८२ मातापिताके अङ्गके विभागका निरूपण २८३-२८४ श्रामण्यपर्याय को प्राप्त हुवा जीव जिनजिन कारगोसे विशिष्ट निर्जरा करता है उन उन कारणोंका निरूपण २८५-२८९ पुद्गलोंके परिणाम विशेषका निरूपण २९०-२९७ भेद सहित ऋद्धि के स्वरूपका निरूपण २९८-३०५ गौरवादि भेदोका निरूपण ३०६-३११ निवृत्तिके भेदोंका निरूपण ३१२-३२० लेश्याओंका निरूपण ३२१-३२५ मरणका निरूपण ३२६-३३१ मरणके अनन्तर हिताहितके स्वरूपका निरूपण ३३२-३३८ पृथिवीके स्वरूपका निरूपण ३३९-३४२ नारकोंकी उत्पत्तिका निरूपण ३४३-३४९ तीर्थकरके विमानोंका वर्णन ३४९-३५१ कर्मके तीन स्थानोंका निरूपण ३५२-३५४ पुद्गल स्कंधका निरूपण ३५५-३५६ चौथे स्थानकके पहला उद्देशक ६४ मङ्गलाचरण ३५७ अन्तक्रियाका निरूपण ३५८-३६९ वृक्षदृष्टान्तसे पुरुषोंका निरूपण ३७०-३९१ प्रतिमापतिपन्न पुरुषके कल्पनीय भाषादिका निरूपण ३९२-३९४ वस्त्रदृष्टान्तसे पुरुषादिका निरूपण ३९५-४०२ सुतादि दृष्टान्तसे पुरुषादिका निरूपण ४०३-४१२ धुण दृष्टान्तसे पुरुषादिका निरूपण ४१३-४१९ वनस्पतिका निरूपण ४२०-४२७ ध्यानके स्वरूपका निरूपण ४२८-४५९ भेद सहित देवोंकी स्थितिका निरूपण ४६०-४६२ ६७ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૨
SR No.006310
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages819
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size47 MB
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