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सूत्रकृताङ्गसूत्रे हिगुलकं मनःशिला, शशकाअने इमौ रत्नविशेषौ, पवालो विद्रुमः, 'अब्भपडलब्भवालयबायरकाए, अभ्रपटलाभ्रवालुकाबादरकाय:, तत्र-अभ्रपटलं गगनस्य जलावसाय: अभ्रवालुका तु जलाक्साययुक्ता धूलि', बादरकायः पृथिवीभेदः, 'मणिविहाणा' मणिविधाना: 'गोमेज्जए य रयए अंके फलिहे य लोहिया
खेय' गोमेद्यकं च रजतमत स्फटिकश्च लोहिताख्यञ्च, 'मरगयमसारगल्ले भुयमोयगांदणीले य' मरकतो मसारगल्लो अनमोचकमिन्द्रनीलञ्च । 'चंदणगेरुयहंसगम्भपुलए सोगधिए य बोद्धव्वे' चन्दनगेरुकहंसगर्भपुलाकं सौगन्धिकं च बोद्धव्यम्। 'चंदप्पभ-वेरुलिए-जलकंते-सूरकते य' चन्द्रप्रभं-वैडूर्य-जलकान्तःसूर्यकान्तश्च । उपर्युक्तगाथासु ये ये-उक्तास्तेभ्य आरभ्य सूर्यकान्तपर्यन्तयोनिषु समुत्पन्नाः समुत्पत्स्यमानाश्च ते ते पृथिवीजीवाः । 'एयाओ एएसु (११) चांदी (१२) स्वर्ण (१३) वज्र (१४) हरताल (१५) हिंगुलक (१६) मैनसिल (१७) शासक (१८) अंजन (१९) प्रवाल (२०) अभ्रपटल (आकाश का जलावसाय) (२१) अभ्रवालुका जलावसाय से युक्त धूल (ये बादर पृथ्वीकाय के भेद हैं) अब मणियों के भेद कहते हैं (२२) गोमेद (२३) रजत (२४) अंक (२५) स्फटिक (२६) लोहिताक्ष (२७) मरकत (२८) मसारगल्ल (२९) भुजपरिमोचक (३०) इन्द्रनील (३१) चन्दन (३२) गेरुक (३३) हंसगर्भ (३४) पुलाक (३५) सौगंधिक (३६) चन्द्रप्रभ (३७) बैडूर्य (३८) जलकान्त और (३९) सूर्यकान्त, ये सब मणियों के प्रकार हैं। (७) वा (८) संY (८) diy (10) शासु (११) यांस (१२) २५Y (23) १०० (१४) हुरता (१५) ४ (१६) मनसित (१७) शास (१८) मन (१८) र (२०) अ५८ ( शन relaसाय) (२१) मा ren. વસાયથી યુક્ત ધૂળ (આ બાદર પૃથ્વીકાયના ભેદે છે. હવે મણિયાના ભેદ
वामां आवे छे. (२२)गामे (२३) २००त (२४) A3 (२५) २३४ (२६) allsताक्ष (२७) भ२४त (२८) मसार १८ (२८) भुग परिमाय: (30) छन्द्र नास (31) यन () ३४ (33) सम (३४) yaus (34) सोधि: (31) Aन्द्र (३७) पेय (३८) rasia अने (३८) सूर्य in wl vधा મણિયેના પ્રકાર છે.
श्री सूत्रतांग सूत्र : ४